30 जनवरी 2019

चंदन और वो जीभ वाली लड़की

एक लड़का था और ये एक कहानी है तो लड़के का नाम रख देते हैं, मोहन ? मदन ? सावन ? चंदन ? हाँ चंदन ठीक है, कुछ-कुछ 'गुनाहों के देवता' के 'चंदर' से मिलता है ये चंदन।

तो चंदन लड़का था, उम्र 22 साल, रंग-हल्का साँवला और मुस्कुराता तो वो हल्कापन भी ग़ायब हो जाता। गाने नहीं सुनता था और गली के कुत्तों से डरता था। पूर्णिमा के दिन चाँद पर जाने की ख़्वाहिश रखता था और अमावस के दिन माँ के लाख कहने पर खाना नहीं खाता था।

अज़ीब था न चंदन ? पर उसके इस रवैये के लिए ज़िम्मेदार थी वो एक लड़की जो उसके स्कूल के दिनों में 7वीं क्लास में मिली थी।चंदन उसे पसंद करता और लड़की उसे चोरी-चोरी देखती। खो-खो खेलते वक़्त लड़की हमेशा चंदन के अपोजिट टीम में रहना पसंद करती और हर बार जीतने के बाद चंदन को सर के पीछे मारती और जीभ निकाल के कहती
"हार गया फ़िर तू, मेरा दिल कैसे संभलेगा तेरे से ?"
चंदन कहता
"जीभ अंदर कर, सर देख रहे हैं"
लड़की कहती
"फट्टू"
चंदन कहता
"__________"

8th में जब दोनों थे तब चंदन ने अपने उस दोस्त से चिट्ठी लिखवाई जिसकी लिखावट के लिए लड़की जान छिड़कती थी और चिठ्ठी में लिखवाया कि

"I love you, तुम्हारे हाँ के इंतज़ार में ~ चंदन"

और चिठ्ठी को उस जीभ वाली लड़की के बैग में डाल आया।उस दिन खो-खो में पहली बार चंदन वाली टीम जीत गई और लड़की को जीभ निकालने का मौका न मिला।

और फ़िर कभी लड़की को जीभ निकालने का मौका मिला ही नहीं। चंदन को अगले दिन क्लास में पता चला कि बीते दिन को शाम में लड़की का पैर फिसल गया और वो छत से नीचे गिर के अपनी जीभ के साथ ग़ुम हो गयी हमेशा के लिए।

चंदन अब गाने सुनने लगा, लड़की को पंकज उदास के गाने पसन्द थे, चंदन पंकज उदास की ग़ज़लों को सुनने लगा और गली के कुत्तों का डर उसके मन से जाता रहा। पूर्णिमा के दिन घर से बाहर नहीं निकलता और अमावस को रात भर छत पर आसमान को निहारता और सोचता कि लड़की ने स्कूल से जाके बैग देखा होगा कि नहीं।

चंदन, बड़ा होता गया, कॉलेज में जा पहुँचा, मुस्कुराते वक़्त जो उसका साँवलापन कम हो जाता था, इस एक अदा पर लड़कियाँ फिदा हो जाती थी। पर चंदन के लिए ये अभिशाप था। चंदन हर लड़की में उसी जीभ वाली लड़की को ढूँढता, किसी नई लड़की के साथ दो दिन बिताता और जीभ वाली लड़की को हर लड़की में ढूँढता और तीसरे दिन जानबूझ के चंदन उस लड़की से लड़ाई करके उसे अपनी ज़िंदगी से बेदख़ल कर देता। रात को उस दिन पंकज उदास को सुनता और कविताएँ लिखकर उस पन्ने को जला देता। आधे-अधूरे चाँद को गालियाँ देता और उस रात पलंग के नीचे सो जाता।

कॉलेज कम्पलीट होने के बाद, चंदन शिमला रहने चला गया था, उसकी माँ ने कहा था कि हनुमान जी के पास ज़रूर जाना जो कि शिमला में  "जाखो जी" के नाम से प्रसिद्ध है। चंदन बेमन से गया भी और जाखो जी के मंदिर में उसे वह जीभ वाली लड़की दिख गयी। जीभ वाली लड़की ने भी देर तक चंदन को देखा और फ़िर दोनों साथ में ही, बिना एक भी लफ्ज़ बोले, हाथों में हाथ दिए, पहाड़ से नीचे उतरे और उस रेस्टोरेंट में गए जहाँ चंदन की माँ और पिता पहली बार मिले थे।

चंदन को दो दिन चाहिए था उस नई लड़की में जीभ वाली लड़की को खोजने के लिए, पर 11 दिन बीत गए और चंदन परेशान रहने लगा कि ये सचमुच वही जीभ वाली लड़की तो नहीं है, मैं इससे लड़ाई क्यों नहीं करके इसे अपनी ज़िंदगी से बेदख़ल कर रहा हूँ ?

चंदन की परेशानी उसकी माँ समझ गयी और चंदन से कहा कि बात कराना उस लड़की से। लड़की ने चंदन की माँ से बात की और चंदन के माथे को चूम लिया। उस शाम को चंदन ने पहली बार सिगरेट पीने का फ़ैसला किया और ये पहली बात थी उसकी अब तक की ज़िंदगी की जो उसने अपनी माँ को नहीं बताया।

सिगरेट पीने लगा ख़ूब पीने लगा, जितना वो लड़की जीभ वाली लड़की के जैसे बनती जा रही थी, चंदन सिगरेट के और क़रीब जा रहा था। पंकज उदास को अब जगजीत सिंह और चंदन दास की ग़ज़लों ने पीछे छोड़ दिया। अब चंदन पन्ने को लेकर उसपर एकटक देखता कुछ लिखता नहीं और जलाकर उससे सिगरेट सुलगा लेता।

लड़की एक सुनहरे दिन को पूरा ही जीभ वाली लड़की में तब्दील हो गई और चंदन पूरा ही मानसिक संतुलन खो बैठा। सिगरेट जलाने और पीने तक के दरम्यान ही वो होश में रहता और बाकी टाइम पागलों जैसी हरकतें करता, भिखारियों के साथ खो-खो खेलता और उनसे हारकर उन्हें ही जीभ दिखाता। सड़क पर "I love you तुम्हारे हाँ के इंतज़ार में ~चंदन" लिखता रहता और ट्रैफिक पुलिस वालों की गालियाँ सुन के पूर्णिमा की रात में वहीं गालियाँ चाँद को देता और जीभ वाली नई लड़की को भी।

जीभ वाली नई लड़की, चंदन की माँ से बात करती और उन्हें आश्वस्त करती कि चंदन ठीक है और समय से दवाई ले लेता है, नींद भरपूर आती है उसे और अब मुस्कुराता है तो उसका साँवलापन ज़्यादा कम हो जाता है।

माँ, रामायण का पाठ दिन में ज़्यादा समय तक करने लगी और लड़की को ठीक से समझाया कि वो चंदन को उस रेस्टोरेंट के क़रीब कभी न जाने दे जहाँ पहली बार वो चंदन के नेकदिल पिता से मिली थी। लड़की ने कभी भी चंदन को उस रास्ते पर नहीं जाने देती जिस रास्ते पर वो रेस्टोरेंट था।

एक रात को लड़की की आँख जल्दी लग गयी और उसने देखा कि चंदन सुकून से सो रहा है तब बेफ़िक्र होके वो भी सो गई।
अगली सुबह उठी तो चंदन ग़ायब। वो भागते हुए उसी रास्ते पर गयी जहाँ रेस्टोरेंट था, दूर से उसे भीड़  और अपनी धड़कन थमती नज़र आई। पास जाकर देखा तो चंदन औंधे मुँह गिरा पड़ा था और सर के पीछे का हिस्सा फट गया था, जहाँ कभी जीभ वाली लड़की खो-खो में चंदन को हराने के बाद मार देती थी। चंदन के एक हाथ में सिगरेट और दूसरे हाथ में चाँद के लिए गालियाँ लिखी थी और साथ में

"I love you तुम्हारे हाँ के इंतज़ार में~चंदन"

चौथे मंजिल से कूदा था चंदन जबकि उसे याद है कि जीभ वाली लड़की दूसरी मंजिल से गिरी थी ग़लती से।

जीभ वाली नई लड़की, 10 मंजिल के अपार्टमेंट में अपनी बड़ी दीदी के साथ रहती थी। चंदन की माँ 'रामायण' ख़त्म कर लेंगी तो 'गीता' शुरू करेगी।

चंदन के नेकदिल पिता चंदन के नाम से खो-खो खेल में रुचि रखने वाली केवल लड़कियों के लिए अकेडमी खोलेंगे।

चंदन दास और जगजीत सिंह की ग़ज़लें, पंकज उदास की ग़ज़लों से मुक़ाबला करती रहेंगी हमेशा

"और आहिस्ता
कीजिए बातें
धड़कने कोई सुन रहा होगा...

लफ़्ज़ गिरने न पाए होंठों से
वक़्त के हाथ इनको चुन लेंगे
कान रखते हैं ये दरों-दीवार
राज की सारी बात सुन लेंगे

और आहिस्ता...कीजिए बातें"

:)

3 टिप्‍पणियां:

  1. आवश्यक सूचना :

    सभी गणमान्य पाठकों एवं रचनाकारों को सूचित करते हुए हमें अपार हर्ष का अनुभव हो रहा है कि अक्षय गौरव ई -पत्रिका जनवरी -मार्च अंक का प्रकाशन हो चुका है। कृपया पत्रिका को डाउनलोड करने हेतु नीचे दिए गए लिंक पर जायें और अधिक से अधिक पाठकों तक पहुँचाने हेतु लिंक शेयर करें ! सादर https://www.akshayagaurav.in/2019/05/january-march-2019.html

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  2. बहुत सुंदर और भावुक कहानी।
    मेरे ब्लॉग पर आपका स्वागत है।
    iwillrocknow.com

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  3. मार्मिक प्रस्तुति

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आपका कुछ भी लिखना,अच्छा लगता है इसीलिए...
कैसे भी लिखिए,किसी भी भाषा में लिखिए- अब पढ़ लिए हैं,लिखना तो पड़ेगा...:)