पहले कच्चे घर मे,
अब पक्के घर मे कच्चे दिल वाले मिलते हैं,यहाँ
ये मै कहाँ आ गया...
हँसते-मुस्कुराते चेहरे बेशक लगते हैं प्यारे,
पर मुस्कुराहट के पीछे अब
कोई मतलब जुड़ा है,यहाँ
ये मै कहाँ आ गया...
जिंदगी के राह पर चलते-चलते
मिल जाते हैं कई अनजाने लोग
कोई अपना तो कोई सपना सा लगता है
पर अब देखता हूँ,कि
कोई भरोसा के लिए तो
कोई भरोसा करके रोता है,यहाँ
ये मै कहाँ आ गया...
हर ज़ज्बात को जुबान नही मिलती है
हर आरजू को दुआ नही मिलती है
अब दुःख-दर्द को गुस्से का नाम दिया जाता है
अब तो,
पलकों पर बिठाया जाता है,नजरों से गिराने के लिए,यहाँ
ये मै कहाँ आ गया...
मेरे खुदा अब अच्छा नही लगता है ये जहाँ
ये मै कहाँ आ गया...?
- "मन"
हर ज़ज्बात को जुबान नही मिलती है
जवाब देंहटाएंहर आरजू को दुआ नही मिलती है..........
...........................................
उम्दा ख्यालात, गहरे जज्बात..........
bahut sundar mango man sahab
मैं ठीक जगह में आई हूँ
जवाब देंहटाएंमुझे हकीकत में इसी किस्म की दिल की जरूरत है
बुधवार को नई- पुरानी हलचल मे सबको दिखाउँगी
कि देखो रे भाइयों.... है न एक दम पक्का
आप भी आईये न मन्टू भइया बुधवार इसी को नई- पुरानी हलचल मे
यशोदा दीदी,आपका बहुत-बहुत आभार |
हटाएंऔर 'मन्टू भइया' नही केवल 'मन्टू'....:)
bahut achchhe se apne man ki baat kahii hai ...
जवाब देंहटाएंlikhate raho ...shubhkamnayen ...
मन के कोने मे आपका स्वागत है |
हटाएंआभार |
nice...keep bloggn :)
जवाब देंहटाएंwelcm Mahi ji...:)
हटाएंDuniya me aisi jagah bhi hai, yah kaise pataa chalta agar yahan n aate? Ab likhna ki yahan ke haalaat badalne ke liye kya plan hai ! Be positive !
जवाब देंहटाएंजी सही कहा आपने |
हटाएंअब इसका समाधान ढूँढना पड़ेगा....|
well presented nines,god bless you young smarty,keep it up
जवाब देंहटाएंbahut accha lika hai,likhte raho smarty, i think you are senior to me on blog!
जवाब देंहटाएंये तो आपका बड़पन बोल रहा है,सर |
हटाएंएक बात और "आपका स्वागत है",इस ब्लॉग पर....:)
ज़िन्दगी का क्रम समतल रास्तों पर नहीं होता, ऐसा होता तो न सूर्यास्त होता न चिड़ियों का गान होता .... उतार-चढ़ाव उतरते चढ़ते अनुभव होते हैं इन क़दमों के निशां की तरह , जैसा आपने लिखा है ... गहरी अभिव्यक्ति
जवाब देंहटाएंबहुत सटीक कहा आपने...|
हटाएंस्वागतम...
बहुत बढ़िया...पढ़ाई के साथ साथ यूँ ही लिखते रहो..शुभकामनाएँ.
जवाब देंहटाएंस्वागतम..:)
हटाएंबहुत सुन्दर अभिव्यक्ति ....
जवाब देंहटाएंअनु
ऐसे ही तो नहीं कोई आता यहाँ ... मकसद तय होता है हर किसी के आने का ...
जवाब देंहटाएंइस बिगड़े हुवे को खुद सवारने का ...
बहुत लाजवाब लिखा है आपने ..
जी बिल्कुल सही कहा आपने |
हटाएंआपका स्वागत है,सर...
पक्के मकानों में कच्चे दिल मिलते हैं .... बहुत खूब
जवाब देंहटाएंबहुत ही बढ़िया
जवाब देंहटाएंसादर
वाह...बहुत बढ़िया
जवाब देंहटाएंवाह .. बेहतरीन अभिव्यक्ति ।
जवाब देंहटाएंये मैं कहां आ गया, अब अच्छा नही लगता ये जहां ।
जवाब देंहटाएंक्या करें जीना तो यहीं है ।
जी,सही कहा आपने....|
हटाएंआभार|
शायद यही जीवन है..........
जवाब देंहटाएंजी,फूल भी तो काँटो में ही खिलते हैं |
हटाएंआभार |