जानकार भी अनजान है |
क्या था तू और क्या बन गया,
ये तो तू नही था,
जो बनने चला था |
आखिर कब-तक ? वही कल देखेगा,
जो वक्त के साथ पीछे रहना था |
वक्त के साथ, तू बदल गया,
पर नतीजे क्यूँ नही बदले ?
अभी भी कही बाकी है कुछ ,
जिसे एक मौके की तलाश है |
उसको पहचान जो तुझे ,
खिंचता है उस राह से अलग ,
जिसके लिए....
बस तू ही बना है,
बस तू ही बना है |
-"मन"
क्या था तू और क्या बन गया,
ये तो तू नही था,
जो बनने चला था |
आखिर कब-तक ? वही कल देखेगा,
जो वक्त के साथ पीछे रहना था |
वक्त के साथ, तू बदल गया,
पर नतीजे क्यूँ नही बदले ?
अभी भी कही बाकी है कुछ ,
जिसे एक मौके की तलाश है |
उसको पहचान जो तुझे ,
खिंचता है उस राह से अलग ,
जिसके लिए....
बस तू ही बना है,
बस तू ही बना है |
-"मन"
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