14 अगस्त 2012

एक और स्वतंत्रता दिवस...!

एक और स्वतंत्रता दिवस.....एक और मौका जब हम "आई लव माई इंडिया" कहकर यह जता सके कि भाई हमें भी इंडिया की बड़ी चिंता हैं .....(सच मे हैं क्या??)

हमें आज़ाद (?) हुए 65 वर्ष हो गए ,और इन 65 वर्षों में एक काम करने वाला व्यक्ति अपने जीवन का दो तिहाई से अधिक हिस्सा  समाप्त कर चूका होता है (अब तो 65-70 मे ही निकल लेते हैं)| आज़ादी के इन 65 वर्षों में हमने क्या पाया और क्या खोया ??
हर साल हम 15 अगस्त को आज़ाद होते हैं,तथा अगले ही दिन से हम फिर भ्रष्टाचार, बेईमानी,
बेरोजगारी,हिंसा,अशिक्षा,असमानता,गरीबी,महंगाई,आतंकवाद,नक्सलवाद (लिस्ट अभी बाकी है...) की गुलामी तले  होते हैं |


प्रथम स्वतंत्रता दिवस के मौके पर पंडित जवाहर लाल नेहरू ने दृढ़ प्रतिज्ञा लेते हुए यह घोषणा की थी कि "हम निश्चय ही एक शक्तिशाली भारत का निर्माण करेंगे। यह भारत न केवल विचारों में, कार्यो में और संस्कृति में शक्तिशाली होगा, बल्कि मानवता की सेवा के मामले में भी आगे होगा"
और आज UNDP (united nations devlopment programme) द्वारा जारी मानव विकास सूचकांक वाले देशों मे भारत का स्थान आता है 134वें नंबर पर | पंडित जवाहर लाल नेहरु ने क्या सोचा था और हम किस गली जा रहे हैं ???

सरकार लगातार जता रही है कि उसका लक्ष्य 8-10 प्रतिशत आर्थिक
विकास हासिल करना है, हालांकि इससे महज 4-5 फीसदी लोगों को ही लाभ होना है, फिर हमारी सरकार मात्र इतने से खुश क्यों हो रही है? भारत में अब भी सर्वाधिक गरीबों और निरक्षर लोगों का देश बना हुआ है |कुपोषण से ग्रस्त लोगों की संख्या के मामले में भी हम विश्व में सबसे आगे हैं।और भ्रस्टाचार के मामले तो आप देख ही रहे हैं |
जिन मोर्चों पर हमें मजबूत होना था वहाँ हम निरंतर कमजोर होते गए, और जिन मोर्चों को पनपने ही नहीं देना था वहाँ हमने लापरवाही से उनके लिए भरपूर 'स्पेस' दिया |
संभवत: कुछ क्षेत्रों में हम बाकी से आगे भी हैं, लेकिन यह प्रगति हमारी जरूरतों और क्षमता के मुकाबले बहुत कम है। 

अब देश में ऐसी कौन सी चीज बची है जो नहीं बिकतीं? चुनाव लड़ना अब हिंसा, धन और बाहुबल का खेल होकर रह गया है। आज हर बात को वोट,जाति और धर्म के चश्मे से ही क्यूँ देखा जाता हैं???? यहाँ अमीर और अमीर होते जा रहे हैं और गरीब और गरीब.....पर एक बात हैं कि वोट के टाइम पर,गरीब सबसे ज्यादा अमीर बन जाता हैं...मानते हैं कि नहीं???? 


आज कसाब को बिरयानी खिलाया जा रहा हैं,,पर भारत में बहुतों की संख्या ऐसी हैं कि उनके पास पीने को पानी तक नही हैं | आप खुद सोच सकते हैं कि उस देश का क्या होगा "जहाँ बूढ़े तो देश चला रहे हैं और जवान फेसबुक" 

हमसब तो यह मान के बैठे हैं कि "भारत का नाम रोशन करने की जिम्मेदारी सिर्फ सचिन तेंदुलकर ने ले रखी हैं" लेकिन इससे होगा कुछ नही, हम चाहते हैं कि हमारे देश का नाम अग्रणी देशो में आए,तो हमसब को एक साथ आगे आना पड़ेगा,कुछ करना पड़ेगा, तब कहीं जाकर इस दिन की उपयोगिता नज़र आएगीं| आखिर आमिर खान भी कब तक कहते रहेंगे|

स्वतंत्रता दिवस कि हार्दिक शुभकामनाएँ...!यह मानते हुए कि हम सचिन की बोझ को "थोड़ा सा" कम करेंगे|
और अंत में...."सारे जहाँ से अच्छा हिन्दोस्तां हमारा......."

                                   -मन्टू

2 टिप्‍पणियां:

  1. स्वतंत्रता दिवस की शुभकामनायें...देश आगे बढ़ेगा मुश्किल हालात के बावजूद...सुंदर आलेख !

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  2. सार्थक और सामयिक पोस्ट.

    कृपया मेरे ब्लॉग पर भी पधारने की अनुकम्पा करें, आभारी होऊंगा .

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