जब होता है तुम्हें देखना,
तब बंद कर लेता हूँ आँखें
और
फिर तुम चली आती हों
आँसू बन के...
जब होता है तुम्हें पाना,
तब महसूस कर लेता हूँ
हवाओं को,
और
फिर तुम छू के निकल जाती हों...
यूँ सरसराती...
जब होता है तुम्हें छूना,
तब सहारा लेता हूँ
स्याही और कागज का
और
फिर तुम आ जाती हों करीब...
जब होता है तुमसे मिलना,
तब घुम आता हूँ उन गलियों में
जहाँ मिल जाती हों तुम
और
फिर मै मुस्कुरा लेता हूँ,
यूँ गम की आड़ में...
जब होता है तुम्हें सुनना,
तब ले जाता हूँ,
इस दिल को कहीं अकेला
और
फिर वहाँ होती हों तुम और मेरी तन्हाई...
अब सोचता हूँ कि शायद तुम मेरे किस्मत में नहीं थी...पर दिल पर किसका जोर है,वहाँ तो बस तुम ही तुम हों...और इसीलिए वो "दिल" कहलाता है...नही तो वो दिल नही कहलाता और उस दिल को "दिल" बनाने में पूरी जिंदगी गुजर जाती |
कभी-कभी हमारे जिंदगी के उसूल इतने कमजोर क्यूँ पड़ जाते है कि हमें किसी और की आवश्यकता पड़ती है,इस जिंदगी को आगे बढ़ाने के लिए...पता नही क्यूँ...???
- "मन"
तब बंद कर लेता हूँ आँखें
और
फिर तुम चली आती हों
आँसू बन के...
जब होता है तुम्हें पाना,
तब महसूस कर लेता हूँ
हवाओं को,
और
फिर तुम छू के निकल जाती हों...
यूँ सरसराती...
जब होता है तुम्हें छूना,
तब सहारा लेता हूँ
स्याही और कागज का
और
फिर तुम आ जाती हों करीब...
जब होता है तुमसे मिलना,
तब घुम आता हूँ उन गलियों में
जहाँ मिल जाती हों तुम
और
फिर मै मुस्कुरा लेता हूँ,
यूँ गम की आड़ में...
जब होता है तुम्हें सुनना,
तब ले जाता हूँ,
इस दिल को कहीं अकेला
और
फिर वहाँ होती हों तुम और मेरी तन्हाई...
अब सोचता हूँ कि शायद तुम मेरे किस्मत में नहीं थी...पर दिल पर किसका जोर है,वहाँ तो बस तुम ही तुम हों...और इसीलिए वो "दिल" कहलाता है...नही तो वो दिल नही कहलाता और उस दिल को "दिल" बनाने में पूरी जिंदगी गुजर जाती |
कभी-कभी हमारे जिंदगी के उसूल इतने कमजोर क्यूँ पड़ जाते है कि हमें किसी और की आवश्यकता पड़ती है,इस जिंदगी को आगे बढ़ाने के लिए...पता नही क्यूँ...???
- "मन"
मन के कोमल भावों की
जवाब देंहटाएंसुन्दर भावपूर्ण अभिव्यक्ति...
:-)
सुन्दर....
जवाब देंहटाएंHeart touching...
जवाब देंहटाएंThis Diwali Use Some Graphics on Blog
बड़ा ही सुंदर, मार्मिक चित्र खिंचा है आपने लाजवाब प्रस्तुति |
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर!! मगर कविता के बाद Narration क्यूँ???
जवाब देंहटाएंगजब ...मन की तन्हाईयों से निकली हुई कविता.
जवाब देंहटाएंअगर आपको अच्छा लगे तो मेरे ब्लॉग से भी जुड़ें।
धन्यवाद !!
http://rohitasghorela.blogspot.com/2012/10/blog-post.html
इस क्यूँ के पीछे उम्र गुज़र जाती है दोस्त।
जवाब देंहटाएंBahut kathin sawaal poochh liya tumne isbaar- "kisi aur ki zaroorat kyon pad jaati hai?"
जवाब देंहटाएंजब होता है तुम्हें छूना,
जवाब देंहटाएंतब सहारा लेता हूँ
स्याही और कागज का
और
फिर तुम आ जाती हों करीब...
जब होता है तुमसे मिलना,
तब घुम आता हूँ उन गलियों में |
भाई , ये कुछ पंक्तियाँ मेरे लिए लिखी थीं क्या ? :)
वैसे बहुत ही अच्छे तरीके से लिखा है | लेकिन कविता के बाद दिये गये ब्यौरे की जरूरत मुझे भी कुछ कम लगी |
अहसास को अहसास कराती कविता .
जवाब देंहटाएंLovely Collection For more....
जवाब देंहटाएंHINDI SMS FOR U