2 जुलाई 2020

एक कवि है आलोक धन्वा

एक कवि है
जो चाहता था भारत में जन्म लेना
कोई मतलब पाना चाहता था
पर अब वह भारत भी नहीं रहा
जिसमें जन्म लिया उसने।

एक कवि है
जो कहता है-एक लड़की भागती है तो
यह हमेशा ज़रूरी नहीं है कि
कोई लड़का भी भागा होगा।
जो हिमायती है
मार्च के महीने में
लड़कियों का घर से भाग जाने का।

एक कवि है
जिसे बचाया है-सबसे सस्ती सिगरेट ने
दो कौड़ी की मोमबत्तियों की रोशनी ने
दो-चार उबले हुए आलू ने, जंगली बेर ने।

एक कवि है
जो कभी नहीं भूला
उन स्त्रियों को जिनसे प्रेम किया उसने।

एक कवि है
जो मीर के गली से हो आया है और
उधर जाने की हसरत रखता है जिधर
नदियाँ मिलती है समन्दर से।

एक कवि है
जिसके पास रेल है
जो जाती है उसके माँ के घर
सीटी बजाती हुई, धुआँ उड़ाती हुई।

एक कवि है
जिसके पास उम्मीद है सबके लिए कि-
एक बार और मिलने के बाद भी
एक बार और मिलने की इच्छा
पृथ्वी पर कभी ख़त्म नहीं होगी।



प्रिय कवि को जन्मदिन के लिए शुभकामनाएँ :)

3 टिप्‍पणियां:

  1. "क्या तुम्हें दाम्पत्य दे दिया गया
    क्या तुम उसे उठा लाये
    अपनी हैसियत अपनी ताकत से"

    भागी हुई लड़कियाँ ब्रूनो की बेटियाँ छतों पर लड़कियाँ जैसी अनगिनत कमाल की कृतियाँ रचने वाले महान कवि आदरणीय धन्वा जी को जन्मदिन की शुभकामनाएँ।
    सुन्दर प्रस्तुति आपकी उनसे जुड़े विभिन्न पहलुओं का बहुत सुंदरता से प्रस्तुतीकरण किया आपने।

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