22 जून 2012

काश..!

काश..! कुछ पल बटोर लेते..
काश..! कुछ पल बटोर लेते..|
''जहाँ'' हम रहते थे कभी, 
उस ''जहाँ'' की यादों से..
काश..! कुछ पल बटोर लेते..|
आज खुश रहकर भी खुश नही,
कल जो थे वहीँ है सही,
लम्हें जो सामने मुस्कुरा जाते हैं,
उन लम्हों में से ..
काश..! कुछ पल बटोर लेते..|
उन यादों को साथ लेकर,
नए यादों के लिए चलना,
उन यादों को याद करके, 
चेहरे पर हँसी लाना,
फिर रोकर मन को तसल्ली दिलाना,
फिर.. अगले ही पल सोचना कि,
उन बीते पलों में से,
काश..! कुछ पल बटोर लेते...|
                -"मन"
जी हाँ, बचपन की यादें कुछ ऐसीं ही होती हैं, जो हमें जीवन भर याद आती रहती है | बचपन के दिन ही अलग थे, ना कोई चिंता ना फ़िकर बस फुल मजे ही मजे | यही वो यादें है जिन्हें हमारा मन कभी-कभी सोचता है और हाथोंहाथ चेहरे पर एक प्यारी सी मुस्कान का सिग्नल भेजता है और फिर सामने वाला पूछ बैठता है कि ''क्या हुआ भाई..?''                                     
बस याद ना जाए उन बीते दिनों की... | 

1 टिप्पणी:

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