हर कोई जो कुछ सीखना चाहता है,वो गलतियाँ करता है या हो जाती है | गलतियाँ करके ही हम यह अनुभव कमाते हैं कि कोई काम किस हद तक सही या गलत है | हम कोई काम यह सोचकर करते हैं कि 'यह काम हमारे लिए सही होगा' तो उस काम में गलतियाँ हो जाने की भी उतनी ही गुंजाइश होनी चाहिए | फिर यह हम पर निर्भर करता है कि हम उन गलतियों से कुछ सीखकर आगे बढ़ना चाहते हैं या चंद लकीरों का बहाना लेकर कहीं रुक जाना बेहतर समझते हैं |
हम भी गलतियाँ करते हैं,हमसे जुड़े हुए लोगों से भी गलतियाँ होती है फिर उनसे खफ़ा होकर हम एक और गलती कर रहें होते हैं | सबकी अपनी-अपनी ज़िंदगी है,उसूल है,अपना-अपना जीने का तरीका है...वे अपने काम के प्रति कोई सा भी नज़रिया लेकर चलते हैं तो हमारा नज़रिया,उनके नज़रिए को स्वीकार करने वाला होना चाहिए | पर इस दरम्याँ जरुरत इस बात की होनी चाहिए कि हमारे सामने वाला भी बहुत हद तक ऐसा ही कुछ सोचता हों |
जब खुद को पाओ
अपने ही बेहद करीब,
दूसरों की गलतियों के बारे में
रखना खुद को उसकी जगह पर
एहसास होगा कि
उसने जो किया,तुम भी वही करते...
कोई उन चीझों को जी रहा होता है,
तुम बस महसूस करके
निकल जाते हों आगे
निकल जाते हों आगे
और भूल जाते हों कि
गलतियाँ तो इंसान से ही होती है
और एक ही इंसानियत सब में पलती है...
तुम अब भी ढूंढते हों
दूसरों में गलतियाँ,
शायद..!
खुद से अभी तक मिले नहीं हों तुम...
- "मन"
कबीर दास का दोहा याद आ गया .... बुरा जो देखन मैं चला ....
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी प्रस्तुति
खुद से मुलाकात होगी फिर भी कुछ लोग नहीं सीखेंगे -बहुत अच्छी प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंLATEST POST सुहाने सपने
my post कोल्हू के बैल
दूसरों की गलतियों को देखना और समझना ..शायद सफलता का मूल मन्त्र हैं ....एक शेर अर्ज करता हूँ ..
जवाब देंहटाएंउसी राह पर चले हो तो टकराना जरुर
हम रास्ते के पत्थर कभी चोट नहीं खाते।
पधारिये आजादी रो दीवानों: सागरमल गोपा (राजस्थानी कविता)
जवाब देंहटाएंकल दिनांक 08/04/2013 को आपकी यह पोस्ट http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर लिंक की जा रही हैं.आपकी प्रतिक्रिया का स्वागत है .
धन्यवाद!
बहुत ही बेहतरीन प्रस्तुति मंटू जी.
जवाब देंहटाएंसच तो ये है की अपने से मिल के भी नहीं मिलना चाहते हैं लोग आज ...
जवाब देंहटाएंदूसरे की बुराई ढूँढने से फुरसत कहां पाते हैं ..
...गलतियों से इंसान को बहुत कुछ सीखने को मिलता है .....इंसान से ही गलती होती हैं ...बस अपनी गलती स्वीकारने वाले ही गलती को अच्छे से समझते हैं ......बहुत बढ़िया प्रस्तुति ...
जवाब देंहटाएंsunder rachna achchi prastuti .
जवाब देंहटाएंएक बार सोचना
जवाब देंहटाएंदूसरों की गलतियों के बारे में
रखना खुद को उसकी जगह पर
एहसास होगा कि
उसने जो किया,तुम भी वही करते...
yah ekdam sach hai ... door baith kar sthiti ka vishleshan karna aur raay dena alag baat hai lekin khud us paristhiti me hote huye sochna-samajhna aur samyik evam sateek nirnay lekar us par amal karna ekdam alag alag baat hai.
विचारणीय बात ....बहुत सुंदर एवं सकरात्मक पोस्ट
जवाब देंहटाएंसही कहा इंसान से ही गलतियाँ होती है........हाँ उन्हें दोहराना नहीं चाहिए ।
जवाब देंहटाएंज़रूरी है की लोग अपनी गलती को गलती मानें और उससे सीख लेकर आगे बढ़ें ।आज कल तो लोग अपनी गलठियों को छुपाने के लिए दूसरों की गलतिया गिनाने लगते है (और इसमें बहुत बड़ा हाथ राजनीतिज्ञों का है)
जवाब देंहटाएंजिंदगी हर पल एक नया अनुभव देती है फिर चाहे कामयाबी मिले या नकामयाबी हर अनुभव सीख देकर जाता है बस ज़रूरत है तो आँखें खुले रखने की ।
उम्दा विचार लाजवाब प्रस्तुति....
आप खुशनसीब हैं जो आपसे गलती हुयी और आप समझदार हैं जो आपने अपनी गलती से कुछ सीखा|
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