7 फ़रवरी 2024

माफ़ीनामा सहित..

सरलीकरण करना, कुछेक केस स्टडी, कुछ उदाहरण के आधार पर बहुत बड़ा निष्कर्ष निकाल लेना जिसका सच से बहुत गहरे स्तर तक कोई लेना देना नहीं। तुम्हारी तरह ही किसी और का जीवन भी है या होता है तो वो आता ही क्यों इस धरती पर ? सोचे कभी ? इसलिए इस सरलीकरण से बचिए कि मेरा जीवन ऐसा है तो मेरे समूह के लोगों की ज़िंदगी (सहेली/बहन/प्रेमी की माँ/उसकी बहन) भी ऐसी होगी या हो सकती है। नहीं भई, बिल्कुल ऐसा नहीं है, तुमने अपना रायता अपने दम पर फैलाया है समेटो भी ख़ुद (उस रायता को खा के, या उसमें डूब के) बाकियों की ज़िंदगी भले तुमसे नरक ( जिंदगी नरक कभी थी ही नही चुनाव हमारा होता है....) क्यों न हो, तुम अपना देखो केवल। तुम्हारी अपनी ज़िंदगी की लगी पड़ी है और तुम चले हो सरलीकरण करके दूसरों के जीवन में और रायता फैलाने, अच्छी बात नहीं है ये। बुझाया ?

उन विचारों में जिनमें आपका गहरा विश्वास हो चला है पर आपको लगता कि उस विचार से दुनिया को फायदा तो नहीं होने वाला तो उसे अपने कुछ ग्राम के दिमाग में ही रखिए अपना गिनी पिग आप ख़ुद बनिए अपने पर अप्लाई कीजिए अपना रायता और फैलाइये या समेटीए, आपका जीवन, आपका नरक, आपकी मर्जी..

किसी और के जीवन के बारे में चाय-कॉफी पीते हुए कुछ भी कह देना/मान लेना, गुटखा खा के कहीं भी थूक देने से भी ज्यादा आसान है। अपनी ज़िंदगी संवारिए पहले, कैसे संवरेगा ये आप जानिए, मैं इतना जानता हूँ कि जीवन के किसी भी मोड़ पर किसी भी पहलू में सुधार की गुंजाइश रहती है वो अलग बात है कि किसी किसी का रायता इस लेवल तक फैला है कि उससे वो रायता कम से कम इस जीवन में तो नहीं ही साफ होगा, तो मानिए कि उसके प्रारब्ध ही ऐसे हैं।


हालांकि मैं भी ये किसी लड़की/किसी की बहन/किसी की प्रेमिका/किसी की माँ पर आक्षेप ही लगा रहा हूँ, पर इस कृत्य को इस तरह से जस्टिफाइ कर रहा कि उन कुछ लड़कियों/औरतों की सोच के दायरे में मेरी माँ, बहन, नानी, प्रेमिका(?) भी आती हैं जिन्हें ऊपर वाले की कृपा से इतना स्पेस मिला हुआ है कि वो अपने मन का काम कर सकें, सपने देख सकें और उन सपनों को पूरा करने के लिए वो मेहनत/जज़्बा दिखा सकते हैं/दिखाते हैं, बजाय अपने से निम्न जीवन/नरक को भोगने वालों के लिए दीवार खड़ी करने के...


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