5 दिसंबर 2012

एक 'कल' के लिए...

कुछ बाकि है अभी भी,
कुछ कसक पूरे होने की...
जिसका इंतजार है,
हर बेजुबां तमन्ना को...
जहाँ खत्म हों बुझी-बुझी सी सुबह,
और तलाश है उस दिन की...

हर सुबह की उम्मीद में,
यूँ स्याह रातों का बीतना...
अधूरे सपनों की चुभन से, 
यूँ नींद,आँखों में भरना...
कि ये साजिश है वक्त की,
या खेल उन धुँधले लकीरों की...

कुछ वक्त की जोर से हुए पूरे,
कुछ ख्वाब रह गए अधूरे...
जहाँ खोकर आए हैं खुद को,
मुझे छोड़,खबर है सबको...
फ़िकर अब भी है,
उन अधूरे ख्वाबों की...
जिसके होने से मुझे इंतजार है,
एक सुनहरे कल की...

अब गम को पिघलना पड़ेगा ही,
राहें होंगी सीधी भी...
कि इंतजार है 
किसी मंजिल को,
एक-ना-एक दिन अपनी भी...

                           - "मन"

16 टिप्‍पणियां:

  1. अनुपम भाव संयोजित किये हैं आपने .. इस अभिव्‍यक्ति में
    बेहतरीन

    जवाब देंहटाएं
  2. अब गम को पिघलना पड़ेगा ही,
    राहें होंगी सीधी भी...
    -----------------------
    gajab mango man sahab...
    apne shabdon me ummed utaar laate hain.....
    dil se badhaai..

    जवाब देंहटाएं
  3. शब्दों की जीवंत भावनाएं... सुन्दर चित्रांकन.
    बहुत सुंदर भावनायें और शब्द भी.बेह्तरीन अभिव्यक्ति!शुभकामनायें.

    जवाब देंहटाएं
  4. कुछ वक्त की जोर से हुए पूरे,
    कुछ ख्वाब रह गए अधूरे...
    जहाँ खोकर आए हैं खुद को,
    मुझे छोड़,खबर है सबको...
    फ़िकर अब भी है,
    उन अधूरे ख्वाबों की...
    जिसके होने से मुझे इंतजार है,
    एक सुनहरे कल की...
    sundar bhavabhivyakti.badhai

    जवाब देंहटाएं
  5. भावपूर्ण सुंदर भावभिव्यक्ति...

    जवाब देंहटाएं
  6. आप अपने शब्दों में नई जान और नई उर्जा भर देते हैं ..

    देखना एक न एक दिन इसी कल को आज में बदल देंगे और मंजिल का इंतजार भी ख़त्म हो जायेगा।

    मेरी नयी पोस्ट पर आपका स्वागत है
    http://rohitasghorela.blogspot.in/2012/12/blog-post.html

    जवाब देंहटाएं
  7. हर बेजुबां तमन्ना को...
    जहाँ खत्म हों बुझी-बुझी सी सुबह,
    और तलाश है उस दिन की...

    .....बहुत सुंदर भाव, सुंदर प्रस्तुति.
    कुछ दिनों से अधिक व्यस्त रहा इसलिए आपके ब्लॉग पर आने में देरी के लिए क्षमा चाहता हूँ
    मेरी नयी पोस्ट पर आपका स्वागत है
    http://sanjaybhaskar.blogspot.in/2012/12/2.html#links

    जवाब देंहटाएं
  8. मुझे भी फिकर है उन बेजुबान ख़्वाबों के पूरे होने की | देखते हैं कब पूरे होंगे | अच्छा लिखे हो भाई |

    जवाब देंहटाएं
  9. वो मंजिल वो कल जरूर आएगा ...
    हिम्मत रहनी जरूरी है उस तलाश के लिए ...

    जवाब देंहटाएं

आपका कुछ भी लिखना,अच्छा लगता है इसीलिए...
कैसे भी लिखिए,किसी भी भाषा में लिखिए- अब पढ़ लिए हैं,लिखना तो पड़ेगा...:)