कभी ज़िंदगी के साथ जीया हूँ,
तो कभी छोड़ आता हूँ पीछे कहीं...
कभी हर गम को पीता हूँ,
तो कभी छोड़ देता हूँ आँसूओं के साथ उन्हें...
कभी लिखता हूँ खुद कि तक़दीर को,
तो कभी उसके भरोसे भी नही चल पाता हूँ...
कभी हर दिल में घर बनाने की कोशिश करता हूँ,
तो कभी बेदखल हों जाता हूँ खुद से ही...
पर सोच के मुस्कुराता हूँ कि
जो वक्त ने राह दिखाई है,ज़िंदगी को
उसकी खबर नही है मुझको,पर
उस राह पर चलना बखूबी जानता हूँ मै...
- "मन"
तो कभी छोड़ आता हूँ पीछे कहीं...
कभी हर गम को पीता हूँ,
तो कभी छोड़ देता हूँ आँसूओं के साथ उन्हें...
कभी लिखता हूँ खुद कि तक़दीर को,
तो कभी उसके भरोसे भी नही चल पाता हूँ...
कभी हर दिल में घर बनाने की कोशिश करता हूँ,
तो कभी बेदखल हों जाता हूँ खुद से ही...
पर सोच के मुस्कुराता हूँ कि
जो वक्त ने राह दिखाई है,ज़िंदगी को
उसकी खबर नही है मुझको,पर
उस राह पर चलना बखूबी जानता हूँ मै...
- "मन"
.सार्थक प्रस्तुति आभार . .आत्महत्या -परिजनों की हत्या
जवाब देंहटाएंआभार..!!
हटाएंBahut khoob. Khud se bedakhal hokar hi har dil men jagah milti hai. badhe chalo!
जवाब देंहटाएं:)
हटाएंजब खुद से ही बेदखल हों जायेंगे..तब हम खुद से मिलेंगे तो फिर क्या ?
वाह बहुत सुन्दर ।
जवाब देंहटाएंधन्यवाद भैया..:)
हटाएंबहुत ही बढ़ियाँ गहन भाव रचना...
जवाब देंहटाएंजिन्दगी के साथ मुस्कुराते रहिये,
शुभकामनाएँ..
:-)
आभार..:)
हटाएंहर मुमकिन कोशिश है,ज़िंदगी के साथ मुस्कुराने की..!
सुन्दर काव्य।
जवाब देंहटाएंमेरी नयी पोस्ट "10 रुपये के नोट नहीं , अब 10 रुपये के सिक्के" को भी एक बार अवश्य पढ़े ।
मेरा ब्लॉग पता है :- harshprachar.blogspot.com
आभार...!! हमारे ब्लॉग पर आपका स्वागत है...:)
हटाएंवाह ... बेहतरीन प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंबहुत ही लाजवाब ढंग से लिखी गयी एक उम्दा कविता ...
जवाब देंहटाएंआपकी इस कविता के अंतिम चरण में जो बदलाव आया वो बेहद पसंद आया.
मेरी नयी पोस्ट पर आपका स्वागत है
http://rohitasghorela.blogspot.com/2012/11/3.html
मंटू जी बहुत ही भावपूर्ण प्रस्तुति ,सुंदर
जवाब देंहटाएंउम्दा....... बेहतरीन प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंबस यूं ही चलते रहिए ... सुंदर अभिव्यक्ति
जवाब देंहटाएंएक जिंदगी ऐसी भी ...
जवाब देंहटाएंसोच के देखो ज़रा , वक्त ने जो राह दिखाई है जिंदगी को उसकी खबर अगर हमें पहले से ही होने लगे तो जिंदगी में तो कोई एक्साइटमेंट ही नहीं बचा | जरूरी यही है की बस उस राह पर चलते रहो , कदम दर कदम , बेहतर से बेहतर |
जवाब देंहटाएंजो जिंदगी के रास्तों पे चलना सीख गया ... उसने आधा सफर तो पूरा कर लिया ...
जवाब देंहटाएंभापूर्ण प्रस्तुति ...