18 दिसंबर 2012

कि अब,राह तकता हूँ...

हर पल को कुछ यूँ जिया हूँ कि 
अगले पल की ना हों खबर..
जो लाए हर खुशी,
उन लम्हों को सजोंकर..
उन बेरुखी से राहों से,
आगे निकलकर...
बुरे वक्त ने सबको कुचला है,
पर सामने लाया है,
कुछ सच्चे चेहरों को उभारकर...
चलता जा रहा हूँ 
कुछ चेहरों को पढ़कर, 
कुछ को पीछे छोड़कर..
इस ज़िंदगी की हर चाल को मै जनता हूँ
कि अब, 
मै रोज एक खुशी की राह तकता हूँ...
कभी थोड़ा सा पाया है,
बहुत कुछ खोकर..
कभी बहुत मुस्कुराया हूँ
थोड़ा सा रोकर..
पर सुकूं है कि 
मै हर बार खुद से जीता हूँ,
दुनिया वालों से हारकर...
चलता जा रहा हूँ
जिस राह पर मंजिल दिखी है दूर,
उस राह को थामकर..
हर राह को पहचानता हूँ
कि अब,
मै रोज एक खुशी की राह तकता हूँ...

क्या टिके ज़िंदगी
हम इंसानी फ़ितरत के आगे,
हम तो खुशियाँ भी ढूँढ लेते हैं
उन कचरों के ढेर से...

                         - "मन"

13 टिप्‍पणियां:

  1. "सुकूं है कि
    मै हर बार खुद से जीता हूँ,
    दुनिया वालों से हारकर..."

    शब्दों और भावों का सुंदर संयोजन - शुभकामनाएं

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  2. क्या टिके ज़िंदगी
    हम इंसानी फ़ितरत के आगे,
    हम तो खुशियाँ भी ढूँढ लेते हैं
    उन कचरों के ढेर से...
    क्या बात है, हौसलों से उडान होती है... सुन्दर रचना... शुभकामनायें

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  3. क्या टिके ज़िंदगी
    हम इंसानी फ़ितरत के आगे,
    हम तो खुशियाँ भी ढूँढ लेते हैं
    उन कचरों के ढेर से...

    ....बहुत सुन्दर..भावों का सुन्दर चित्रण...

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  4. Aisa lagta hai, ki "chhota munh badi baat" kewal muhavra hi nahi, sachchaai bhi hai.

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  5. एक बहुत उम्दा लय में गजब के भाव उकेरती एक बेहतरीन पोस्ट।

    मेरी नई कविता आपके इंतज़ार में है: नम मौसम, भीगी जमीं ..

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  6. what a beautiful line..
    क्या टिके ज़िंदगी
    हम इंसानी फ़ितरत के आगे,
    हम तो खुशियाँ भी ढूँढ लेते हैं
    उन कचरों के ढेर से...
    thnx for sharing.......Mantu bhai

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  7. मै रोज एक खुशी की राह तकता हूँ...
    कभी थोड़ा सा पाया है,
    बहुत कुछ खोकर..
    --------------------
    mango man sahab... aapke behtaeen andaaj par mai fida hoon....keep it up....my best wishes.....dil se

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  8. बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति बधाई

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  9. चलते जाना ही जीवन है , परिस्थितियां चाहे जो हों |

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  10. क्या टिके ज़िंदगी
    हम इंसानी फ़ितरत के आगे,
    हम तो खुशियाँ भी ढूँढ लेते हैं
    उन कचरों के ढेर से...

    kya baat bahut umda rachna

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