27 फ़रवरी 2013

"अजनबी पर अपना-सा !


बहाने लिए हुए जीने का
चलते-चलते हुए यूँ ही राहों में,
अजनबी सा कोई मिलता है
एहसास होता है हमारे खुद का |
हमे फिकर होने लगती है
उसके हर गम के लिए,
उसकी एक मुस्कान की खातिर
भूल जाते हैं अपनी ज़िंदगी,
हर वक्त उसके ही ख्यालों में जीना
मुस्कुराना
कोई हों ऐसा,
अजनबी पर अपना सा |
हम पास होते जाते हैं
टटोलते हैं,
एक-दूसरे में खुद को
और फिर
कुछ जुड़ता चला जाता है,
एक बंधन-अटूट सा |
उसकी नज़रों में जब
हमारे होने का वजूद झलकता है,
हम वाकिफ़ होते हैं
ज़िंदगी के उन पहलुओं से,
जो होते हैं अनछुए
और तब एहसास होता है कि
अभी भी बाकि है,
जीने को ढेर सारी ज़िंदगी |

                         - "मन"
हमारी ज़िंदगी की राह चलते हुए जब कोई अजनबी मिलता है,क्या उसे मिलना ही होता है या जरुरत कहें इस ज़िंदगी की...उस अजनबी के ख्याल आते ही,हमारे चेहरे पर एक मुस्कुराहट का सवार होना...कोई दिल के इतने पास कैसे आ सकता है...कोई इतना करीब क्यूँ आ जाता है कि हमारी ज़िंदगी,उसके ज़िंदगी के रास्ते सी ही गुजरने लगती है...हम क्यूँ उसके भले-बुरे के बारे में सोचने लगते हैं...हमारी ज़िंदगी क्यूँ उसके सोच के मुताबिक ढलने लगती है...हम उसके हर खुशी और गम के लिए खुद को ज़िम्मेदार मानने लगते हैं...क्यूँ
शायद इन सभी सवालों के जवाब सबके पास है पर उसे लफ्जों में बदलना मुश्किल है,पर ज़िंदगी के कुछ सवालों के जवाब इन बिन बयां लफ्जों का शिकार हों जाए तो ही अच्छा,क्यूंकि हमे उस दरमयान यह कतई महसूस नही होता कि यह 'सवाल' है और इसका जवाब होना ही चाहिए |

18 टिप्‍पणियां:

  1. अभी भी बाकी है,
    जीने को ढेर सारी ज़िंदगी .....
    ------------------------------
    तुम जीवन जीने की वजह देते हो ..और कहते हो अब कोई सवाल नहीं है ..
    मैंगो मैन साहब .. काफी कुछ ख़ास चल रहा है आपके अन्दर ..

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  2. तुम्हें बहुत दिनों बाद पढ़कर खुशी हो रही है :)

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  3. बहुत ही सुन्दर और सार्थक प्रस्तुति ...

    आप भी पधारें
    ये रिश्ते ...

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  4. ये प्रेम का असर है ओर इसके आगे कोई दवा असर नहीं करती ...
    ये एक एहसास है बस जीने के लिए ... न की वजह खोजने के लिए ...

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  5. ये प्रेम ही तो है जिसमे अजनबी पर खुद से भी जादा भरोसा हो जाता है...
    प्यार का अहसास लिए सुन्दर रचना....
    :-)

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  6. बहुत खूबसूरत एहसास है ये

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  7. बहुत खूब........इसी को प्यार कहते हैं जनाब।

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  8. तुम तो बहुत सयाने हो भाई , जी लो इस पल को जितना जी सको

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  9. भाई, आपकी रचना पढ़ते पढ़ते मन मुस्कुरा रहा था .. ख्याल भी कैसी चीज़ है, कभी कभी अनजाने ही समानता की चादर ओढ़ लेती है .. बहुत पहले कभी दो रचनाएँ लिखी थी मैंने .. इन्हें आज दोबारा पढने को जी कर गया ..
    http://madhushaalaa-sumit.blogspot.com/2012/03/blog-post_25.html
    http://madhushaalaa-sumit.blogspot.com/2012/04/blog-post_16.html
    बहरहाल, सुन्दर भावनात्मक रचना।
    शुभकामनाएं

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  10. बहुत सुन्दर प्रस्तुति!

    महाशिवरात्रि की हार्दिक शुभकामनाएँ !
    सादर

    आज की मेरी नई रचना आपके विचारो के इंतजार में
    अर्ज सुनिये

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  11. वाह कितना सुन्दर लिखा है आपने, कितनी सादगी, कितना प्यार भरा जवाब नहीं इस रचना का......बहुत खूबसूरत
    ब्लॉग को पढने और सराह कर उत्साहवर्धन के लिए शुक्रिया !!!

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  12. अनुपम भाव संयोजन किये हैं आपने .... बेहतरीन

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आपका कुछ भी लिखना,अच्छा लगता है इसीलिए...
कैसे भी लिखिए,किसी भी भाषा में लिखिए- अब पढ़ लिए हैं,लिखना तो पड़ेगा...:)