कुछ लोग इक रोज जो बिछड़ जाते हैं वो हजारों के आने से मिलते नहीं"
जी हाँ ये गाना है फिल्म "आप की कसम" से जो किशोर दा काका(राजेश खन्ना-फिल्म इंडस्ट्री का पहला सुपरस्टार)के होठों से कह गये...
आज उनकी 85वीं जन्म सालगिरह है...किशोर दा(आभास कुमार कुंजालाल गांगुली)किसी भी परिचय के मोहताज़ नहीं क्यूँकी उन्होंने उन आम लोगों को गुनगुनाने का मौका दिया जिन्हें सुर-ताल की कम ही समझ हैं,किशोर दा कभी भी मन्ना डे या रफ़ी साब के जैसे शास्त्रीय संगीत की तालीम नहीं ली पर उनके गायिकी का अंदाज़ देखिये कि उन्होंने इस चीझ की कभी कमी महसूस न होने दी इसलिए मेल प्लेबैक सिंगर के केटेगरी में सबसे ज्यादा 8 बार उन्होंने फिल्म फेयर अवार्ड हासिल किया वही रफ़ी साब के हिस्से में 6 फिल्म फेयर अवार्ड आया।किशोर दा को 57 साल के उम्र में भी फिल्म फेयर अवार्ड के लिए चुना गया जो कि रिकॉर्ड है(सबसे कम उम्र में अरिजीत सिंह को 26 साल में फिल्म फेयर मिला है) किशोर दा को पहला फिल्म फेयर अवार्ड 1969 में शक्ति सामंता के निर्देशन-निर्माण में बनी फिल्म "अराधना" के गीत "रूप तेरा मस्ताना" के लिए मिला,ये फिल्म 1946 की हॉलीवुड फिल "To Each Has Own" की रीमेक थी,मूवी ऑफ़ द इयर चुनी गयी थी साथ ही शर्मीला टैगोर को बेस्ट एक्ट्रेस का पहला फिल्म फेयर अवार्ड भी मिला था।इस फिल्म में एक और गाना था "मेरे सपनों की रानी कब आएगी तू" ये गाना हर आदमी के जुबान चढ़ गया था और कोई भी शादी इस गाने के बजे बगैर अधूरी रह जाती थी(अभी भी मशहूर है)
किशोर दा इंदौर के क्रिशचन कॉलेज से पढाई की वहाँ वे कॉलेज के कैंटीन से उधार में खाते और दोस्तों को भी खिलाते।उस समय 10-15 ₹ की उधारी बहुत मायने रखती थी,जब किशोर दा के 5 ₹ 12 अन्ना उधार चढ़ गया तो कैंटीन वाला तकाजा करने लगा फिर किशोर दा टेबल पर ही गिलास-चम्मच से 5 ₹ 12 अन्ना पर धुन निकालते बाद में उन्होंने अपने गानों में इसे बखूबी यूज किया।
किशोर दा रियल लाइफ में कैसे थे अगर आपको ये जानना है तो आप उनकी फिल्म "पड़ोसन" देखिए वैसे सभी ने देख रखे होंगे :)
किशोर दा ने शुरुआत फिल्मों में एक्टिंग से की तब उन फिल्मों में उनकी आवाज बने रफ़ी साब।रफ़ी साब ने उनके लिए गाये पहले गाने के लिए 1₹ मेहनताना लिया था।
किशोर दा रियल लाइफ में भी मशहूर हुए।उनके अजब-गजब कारनामे जैसे कि वे अपने कईं गानों में यूडलिंग का प्रयोग कर नया ट्रेंड चलाया...उनके मेहनताना न देने पर निर्माता से पैसे लेने का तरीका सबकुछ जुदा।
किशोर दा ने चार शादीयाँ की,पहली शादी रुमा गुहा ठाकुरता से की(1950-58)फिर तलाक ले लिये फिर दूसरी शादी (1960-69) मधुबाला (मुमताज़ जेहान देहलवी) जी से,शादी करने के पहले उन्हें जानकारी थी कि मधुबाला जी को बीमारी है और उनकी ज़िन्दगी बस कुछ साल की ही है इसके बावजूद वे इस्लाम को कबूल कर उनसे निकाह किया।(किशोर दा का इस्लामी नाम-करीम अब्दुल)
तीसरी शादी योगिता बाली से(1976-78) हुई जो कि बाद में मिथुन दा की पत्नी बनी,शादी के बाद किशोर दा मिथुन दा से खफा हो गये और उनकी फिल्मों के लिए अपनी आवाज़ नहीं दी तब जाके बप्पी दा का सिक्का चला और म्यूजिक इंडस्ट्री में एक नया बदलाव "आई एम अ डिस्को डांसर" के रूप में बेहद मशहूर हुआ।
उन्होंने चौथी शादी 25 साल की उम्र में विधवा हुईं लीना चंदावरकर से(1980-87)की जो कि उनके साथ आखिरी साँस तक रहीं।
एक गाने में वह कहते हैं "आग से नाता नारी से रिश्ता काहे मन समझ न पाया...मुझे क्या हुआ था एक बेवफा पे हाय मुझे प्यार आया..."(फिल्म 'अनामिका')
लोग कहते हैं कि 4-4 शादीयाँ?इसे प्यार नहीं कहते?
हमारा मानना है कि उनके लिए प्यार के मायने अलग हो सकते हैं जो कि 1987 में उनकी रूह के साथ दफ़्न हो गयी आज वे होते तो इस मुद्दे पर खुल के जिंदादिली से बात करते पर काश! वैसे भी वे अनूठे थे,ये सब होने के बावजूद उनके प्रशंसक उन्हें पसंद करना छोड़ नही देंगे पर हमें कोई हक नही देता कि हम किसी के निजी मामलों पर कुछ कह सकें,जो कहानी इतिहास में दर्ज हो गयीं उनका बस लुत्फ़ उठाया जा सकता है।
एक प्रशंसक के तौर पर मेरा इतना मानना है कि उनके ही कारण हमारे जैसे अनगिनत चाहने वाले गुनगुनाना सिख पाए।
उनके चले जाने के पहले प्रीतेश नंदी ने उनका इंटरव्यू लिया था वो कन्फेस करते हैं कि बॉलीवुड में उनका कोई दोस्त नहीं है,उन्हें अपने पेड़ों से बात करने में ज्यादा मज़ा आता है" लीना(उनकी चौथी पत्नी)जी एक वीडियो में कहती हैं "किशोर दा एक बार कहे थे मेरे चले जाने के बाद भी लोग मुझे याद करेंगे" आज उनके जाने के 27 साल बाद भी वो हम जैसे ढेरों प्रशंसको की जेहन में उनकी यादें और नग्मे जज्ब हैं।
उनकी कमी कोई पूरी नहीं कर सकता पर आज के गायक शांतनु(शान)कुछ हद तक भरपाई करते हैं क्यूंकि गाते वक़्त जैसे किशोर दा मुस्कुराते थे वैसे ही शान का भी गाने का तरीका है ठीक वैसे ही जैसे सोनू निगम रफ़ी साब की कमी को एक हद तक पूरी करते हैं।अगर आप जवानी के किशोर दा को फिल्मों में एक्टिंग करते देखेंगे तो आपको रणबीर कपूर(ऋषि-नीतू कपूर के बेटे) के एक्टिंग वाले चेहरे में वही झलक दिखेगी।
गुलज़ार साब ने ऐसी शख्सीयत के लिए उनके ही एक गाए गाने में कुछ यूँ बयाँ किया है-(वो कल भी पास-पास थी,वो आज भी करीब है)
किशोर दा "वे कल भी पास-पास थे...वे आज भी करीब हैं..."
-मन
(साभार-विकिपीडिया)
किशोर दा जैसे कलाकार, किरदार, शक्शियत बरसों में एक ही बार जनम लेते हैं ...
जवाब देंहटाएंकई पहलुओं के बारे में आपने लिखा है ... उनके गीतों पर एक बार इमरजेंसी में संजय गांधी ने रोक लगा दी थी पर किशोर दा ने अपना अंदाज़ नहीं छोड़ा ... नमन है उनको ...
धन्यवाद सर :)
हटाएंकिशोर दा को नमन।
जवाब देंहटाएं:)
हटाएंvery intresting post. kishore daa sabse alag the.............
जवाब देंहटाएंmango man sahab, kaise hain aap ? main puraane blog par waapas aa gaya hun..........
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