3 अप्रैल 2013

आँसू...

"आँसू" अजीब होते हैं,हर ख़ुशी...हर ग़म में इनका आना तय होता है...इनके साथ होने से हमारी ख़ुशी और बढ़ जाती है और ग़म को भूल जाने का जरिया भी यहीं बनते हैं...
आँसू,जब आँखों से बेदखल हो जाते हैं तब हमें केवल वहीँ सब दिखता है जो हम देखना चाहते हैं ? पर इनके पीछे की कहानी कुछ भी हों,हमें इनका शुक्रगुजार होना चाहिए क्यूंकि जब ये आँखों से बेदखल होती हैं,कईं सारे ख्वाब घर कर बैठते हैं उन्हीं आँखों में...


पलकों को भिगोने के लिए,
आँसू पलते हैं जब आँखों में
यकीन मानो
तभी खुलती हैं आँखें हमारी...
गर हम,
गालों पर आँसू रखकर
मुस्कुराना जो सिख जाते हैं,
फिर एक ही मतलब लेकर आती है
बूँद आँसू की और
चेहरे की मुस्कुराहट हमारी...
क्या
आंसुओं का नही आना आँखों से,
सबूत है-ज़िंदगी को पूरा जान लेना ?
चलते-चलते राहों पर,
जब होते हैं बेखबर कुछ पहलुओं से
मिला देती है उनसे आँसू हमारी...

                   - "मन"

11 टिप्‍पणियां:

  1. आंसुओं का ख़ुशी और दुःख दोनों से नाता है...बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति...शुभकामनायें

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  2. .भावात्मक अभिव्यक्ति ह्रदय को छू गयी आभार झुलसाई ज़िन्दगी ही तेजाब फैंककर ,. .महिला ब्लोगर्स के लिए एक नयी सौगात आज ही जुड़ें WOMAN ABOUT MANजाने संविधान में कैसे है संपत्ति का अधिकार-1

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  3. बहुत ही सुन्दर भावात्मक अभिव्यक्ति,आभार.

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  4. आंसू पे किसका नियंत्रण ... हाँ चाहें तो ये सूख सकते हैं ...
    ओर सच तो ये भी है की जिंदगी में सब कुछ जान लेने के बाद आंसू नहीं आते ...

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  5. बहुत खूब कहा है आपने ... बेहतरीन अभिव्‍यक्ति

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  6. आज की ब्लॉग बुलेटिन छत्रपति शिवाजी महाराज की जय - ब्लॉग बुलेटिन मे आपकी पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !

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  7. Bahut khub lkha mantu.......
    Par Kbhi kbhi adhuri khawishon ki nishaani lgte h aansu

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  8. आंसू आये , आँख साफ़ हो गयी , शायद ये भी जरुरी था || :)

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कैसे भी लिखिए,किसी भी भाषा में लिखिए- अब पढ़ लिए हैं,लिखना तो पड़ेगा...:)