"हम जैसा चाहते हैं,ज़िंदगी उसी तरह आगे बढ़ती चली जाती है" पर यह बात शायद हर वक्त,हर जगह लागू न हों | कभी-कभी हमें अपने हिसाब से न चलाकर ज़िंदगी,जिस राह पर ले जाना चाहती है उसी तरफ चलना पड़ता है...पर कहीं न कहीं उस सही या गलत राह के लिए हम खुद ही जिम्मेदार होते हैं,यह बात हम खुद समझ जाए तो बेहतर वरना वक्त तो समझा ही देता है |
ज़िंदगी के रास्ते में हम बहुतों से मिलते हैं,किसी को खुद के बेहद करीब पाते हैं तो किसी से दूरी रखना सही लगता है...पर जीने का तरीका ये नही होना चाहिए कि खुद को बदले बिना हम ये उम्मीद करें कि हमसे जुड़े हुए लोग भी बदल जाए...
पलकों को बोझिल किए हुए
चल पड़ता हूँ उन राहों पर भी,
जिसे भुलाया भी न जा सका
और रहा हूँ उससे बहुत दूर भी...
अफ़सोस है कि
कुछ राहें बदल गईं,
उन्हीं राहों पर चलते-चलते
पर एहसान है उनका कि
चलना सिखाया है मुझे,
आगे की राहों पर...
कुछ राहें होती हैं
जिन्हें मंजूर नही कि
हम कुछ रिश्तों के संग,
चलते जाए उनपर
तो फिर
जरुरी हो जाता है,
किसी एक को पीछे छोड़कर
आगे बढ़ जाना...
- "मन"
ज़िंदगी के रास्ते में हम बहुतों से मिलते हैं,किसी को खुद के बेहद करीब पाते हैं तो किसी से दूरी रखना सही लगता है...पर जीने का तरीका ये नही होना चाहिए कि खुद को बदले बिना हम ये उम्मीद करें कि हमसे जुड़े हुए लोग भी बदल जाए...
पलकों को बोझिल किए हुए
चल पड़ता हूँ उन राहों पर भी,
जिसे भुलाया भी न जा सका
और रहा हूँ उससे बहुत दूर भी...
अफ़सोस है कि
कुछ राहें बदल गईं,
उन्हीं राहों पर चलते-चलते
पर एहसान है उनका कि
चलना सिखाया है मुझे,
आगे की राहों पर...
कुछ राहें होती हैं
जिन्हें मंजूर नही कि
हम कुछ रिश्तों के संग,
चलते जाए उनपर
तो फिर
जरुरी हो जाता है,
किसी एक को पीछे छोड़कर
आगे बढ़ जाना...
- "मन"
बहुत सुन्दर....होली की हार्दिक शुभकामनाएं ।।
जवाब देंहटाएंपधारें कैसे खेलूं तुम बिन होली पिया...
यही है जिंदगी का बदलता रूप
जवाब देंहटाएंlatest post कोल्हू के बैल
latest post धर्म क्या है ?
तो फिर
जवाब देंहटाएंजरुरी हो जाता है,
किसी एक को पीछे छोड़कर
आगे बढ़ जाना...
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beshak..
तो फिर
जवाब देंहटाएंजरुरी हो जाता है,
किसी एक को पीछे छोड़कर
आगे बढ़ जाना...
.........
सच
आपकी इस प्रविष्टी की चर्चा कल रविवार (31-03-2013) के चर्चा मंच 1200 पर भी होगी. सूचनार्थ
जवाब देंहटाएंजनाब बहुत ही शानदार रचना | बधाई
जवाब देंहटाएंकभी यहाँ भी पधारें और लेखन भाने पर अनुसरण अथवा टिपण्णी के रूप में स्नेह प्रकट करने की कृपा करें |
Tamasha-E-Zindagi
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बहुत ही बेहतरीन उत्कृष्ट प्रस्तुति...
जवाब देंहटाएंजिंदगी की राहे इसी लिए तो आसान नहीं होती ... जैसे हम अपनी मर्जी से चलना चाहते हैं ... वो राहें भी तो अपनी मर्जी से ही चलाना चाहती हैं ... समाज की, कभी अपनी बनाई ये राहें ...
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुन्दर और सटीक अभिव्यक्ति,आभार.
हटाएंजीवन भी यूँ हेई आगे बढ़ता है....कभी रुकता नहीं किसी के लिए..
जवाब देंहटाएंसुन्दर रचना...
अनु
बहुत अच्छा लिखा है मंटू।
जवाब देंहटाएंकोई बीच की राह नहीं थी क्या ? :)
जवाब देंहटाएंअच्छी रचना ||