जब रात,आँखों से गुजरते हुए,
दिन के करीब पहुँच जाए...
जब पलकों के झपकने से ज्यादा,
बदलने लगूँ करवटें...
जब जीने की वजह,
रातों में भी धुँधली दिखे...
जब जज्बात बेबस होकर,
उसूलों की परवाह न करें...
जब मुस्कुराने की हर छोटी कोशिश,
उदासी में गुम हों जाए...
जब खुद की बनाई दुनिया ही,
अजनबी-सी लगे...
फिर एक छोटे-से कमरे में,
पूरी दुनिया को समेटकर
सबकुछ भूल जाने की जदोजहद में,
बस तुम याद आती हों,माँ...
माँ...मेरी छोटी-सी मुस्कुराहट में तुम्हारी हर बड़ी नाउम्मीदी पल भर में खो जाती थी...मै जितनी बढ़िया से अपनी हर बेमतलब की बात कह भी नहीं पाता था,उतनी इत्मीनान से तुम सुनती थी...
माँ...एक तुम्हारा ही झूठ बोलना मुझे हर सच्ची बात सीखा जाता है...झूठ,जो तुम्हें कभी भूख नहीं लगती थी...झूठ,जो मेरी जरूरतें पूरी करते-करते तुम कभी थकती नहीं थी...झूठ,जो कभी भी तुम्हें नई साड़ी की जरुरत नहीं पड़ी...वही झूठ जो मुझे सच्चे रास्तों पर चलने की हमेशा याद दिलाता है...वही झूठ जो सच के बेहद करीब है...
वह माँ,जिसके बिना मेरी ज़िंदगी का हर एक दिन अधूरा है...उस माँ को सलाम...
- "मन"
दिन के करीब पहुँच जाए...
जब पलकों के झपकने से ज्यादा,
बदलने लगूँ करवटें...
जब जीने की वजह,
रातों में भी धुँधली दिखे...
जब जज्बात बेबस होकर,
उसूलों की परवाह न करें...
जब मुस्कुराने की हर छोटी कोशिश,
उदासी में गुम हों जाए...
जब खुद की बनाई दुनिया ही,
अजनबी-सी लगे...
फिर एक छोटे-से कमरे में,
पूरी दुनिया को समेटकर
सबकुछ भूल जाने की जदोजहद में,
बस तुम याद आती हों,माँ...
माँ...मेरी छोटी-सी मुस्कुराहट में तुम्हारी हर बड़ी नाउम्मीदी पल भर में खो जाती थी...मै जितनी बढ़िया से अपनी हर बेमतलब की बात कह भी नहीं पाता था,उतनी इत्मीनान से तुम सुनती थी...
माँ...एक तुम्हारा ही झूठ बोलना मुझे हर सच्ची बात सीखा जाता है...झूठ,जो तुम्हें कभी भूख नहीं लगती थी...झूठ,जो मेरी जरूरतें पूरी करते-करते तुम कभी थकती नहीं थी...झूठ,जो कभी भी तुम्हें नई साड़ी की जरुरत नहीं पड़ी...वही झूठ जो मुझे सच्चे रास्तों पर चलने की हमेशा याद दिलाता है...वही झूठ जो सच के बेहद करीब है...
वह माँ,जिसके बिना मेरी ज़िंदगी का हर एक दिन अधूरा है...उस माँ को सलाम...
- "मन"
Aabhari Hun...
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर ... .मातृ दिवस की हार्दिक शुभकामनाएँ...
जवाब देंहटाएंबहुत ही भावभरी कविता
जवाब देंहटाएंमाँ की याद पल पल आती है ... उसको भुलाना आसां कहां ... संबल है वो जीवन है वो ... कभी कभी जीवन बेमानी लगता है उसके बगेर ...
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर अभिव्यक्ति,मातृ दिवस की हार्दिक शुभकामनाएँ...
जवाब देंहटाएंवह माँ,जिसके बिना मेरी ज़िंदगी का हर एक दिन अधूरा है...उस माँ को सलाम..
जवाब देंहटाएंबहुत भापूर्ण विचार ....
जवाब देंहटाएंएक समय में रूप अनेकों
जवाब देंहटाएंमाँ तुम सबमे रम जाती हो
पत्नी ,माँ ,भाभी और बहना
माँ तुम कितने फ़र्ज़ निभाती हो
नमस्कार !
जवाब देंहटाएंआपकी इस प्रविष्टी की चर्चा कल सोमवार (13-05-2013) के माँ के लिए गुज़ारिश :चर्चा मंच 1243 पर ,अपनी प्रतिक्रिया के लिए पधारें
सूचनार्थ |
Dhanywad...
हटाएंबहुत सुंदर.......माँ को नमन
जवाब देंहटाएंmridul bhawon se bharpoor .....
जवाब देंहटाएंबहुत ही कोमल भावपूर्ण रचना..
जवाब देंहटाएं:-)
मां को नमन .......
जवाब देंहटाएंमार्मिक और भावपूर्ण रचना
जवाब देंहटाएंमाँ को समर्पित
बधाई
आग्रह है पढ़े "अम्मा"
http://jyoti-khare.blogspot.in
बहुत सुन्दर और गहन.........
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर .
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर और सच्चा ||
जवाब देंहटाएंआपने काफी सुन्दर लिखा है...
जवाब देंहटाएंइसी विषय International father's day से सम्बंधित मिथिलेश२०२०.कॉम पर लिखा गया लेख अवश्य देखिये!