ज़िन्दगी !
अजनबी राहें
दो राही
हाथ पकड़
साथ-साथ चलना
पर
अंधेरों के दस्तक देते ही
हाथ की पकड़ ढीला होते जाना
यहीं ज़िन्दगी है?
एक नदी
दो किनारा
कोई तिनका नहीं
दोनों एक-दूजे के लिए मांझी
पर
लहर के दस्तक देते ही
दोनों इस उम्मीद में कि
कोई तो आगे होके हाथ थामेगा
दोनों हांफने लगे
किनारा भी दूर..बहुत दूर है
यहीं ज़िन्दगी है?
लड़के ने कहा
एक दिन
लड़की से
"दोस्ती करोगे मुझसे"
वे दोनों चुपचाप चलते रहे
साथ-साथ
कहाँ?पता नहीं
यकायक
ढलता सूरज
दोनों से कहता है
"घर पर इंतजार हो रहा है तुम्हारा"
यहीं ज़िन्दगी है?
लड़की ने कहा
एक दिन
लड़के से
"किसी के दिल टूटने की वजह
मैं नहीं बनना चाहती
पर हम जब-तक चाहेंगे
तब-तक 'दोस्त' बने रहेंगे"
यहीं ज़िन्दगी है?
फिर
लड़के ने
उसी रात
सपने में
लड़की से ये बोलता पाया
"देखो
ऐसा भी वक़्त जीवन में आता है,
जब अच्छा-खासा दोस्त भी दुश्मन बन जाता है
और
जब दोस्त दुश्मन बन जाये
तो
इन्सान को अर्श से फर्श पर आने में
वक़्त नहीं लगता"
यही ज़िन्दगी है?
लड़का सोचता है
उसे ताउम्र 'दोस्त' बन
उस लड़की के साथ रहना है
लड़की को पढना है
कि
आखिर किस भाषा में लिखी गई थी
वह लड़की !
यहीं ज़िन्दगी है?
लड़का सोचता है
कि
उसके सारे ख्वाहिशों को
लड़की
पंख तो दे नहीं सकती
फिर सोचता है
वो ख्वाहिशें सिर्फ उसके ज़ेहन की नहीं
लड़की भी तो आधे की हक़दार थी
बेखबर आवारा
वो लड़का
यहीं ज़िन्दगी है?
वह लड़का
पता नहीं
क्या-क्या सोचता गया
उलझता गया
लड़की बिखरती गई उसमें
साथ में वह खुद भी
पर
किसी मोड़ से
लौटकर वापस आ गया
लड़का शयद !
ख़ुद से मिल गया है वो शायद !
एक दिन
उगता हुआ सूरज
मुस्कुराकर
कहता है लड़के से
"घर पर अब इंतजार नहीं हो रहा तुम्हारा"
यहीं ज़िन्दगी है?
सामने दूर..बहुत दूर ही सही,
एक मंजिल तो है
एक नाव के लिए,
एक ही मांझी,तो है
मांझी नहीं तो
ख़ुद वो तो है ही
ख़ुद को किसी भी राह पर
ले जाकर
भटक कर
थक कर
फिर
लौट जाना
पर
अपने अन्दर के इन्सान को
जिंदा रखना
जी हाँ !
यहीं ज़िन्दगी है...
- मन
अजनबी राहें
दो राही
हाथ पकड़
साथ-साथ चलना
पर
अंधेरों के दस्तक देते ही
हाथ की पकड़ ढीला होते जाना
यहीं ज़िन्दगी है?
एक नदी
दो किनारा
कोई तिनका नहीं
दोनों एक-दूजे के लिए मांझी
पर
लहर के दस्तक देते ही
दोनों इस उम्मीद में कि
कोई तो आगे होके हाथ थामेगा
दोनों हांफने लगे
किनारा भी दूर..बहुत दूर है
यहीं ज़िन्दगी है?
लड़के ने कहा
एक दिन
लड़की से
"दोस्ती करोगे मुझसे"
वे दोनों चुपचाप चलते रहे
साथ-साथ
कहाँ?पता नहीं
यकायक
ढलता सूरज
दोनों से कहता है
"घर पर इंतजार हो रहा है तुम्हारा"
यहीं ज़िन्दगी है?
लड़की ने कहा
एक दिन
लड़के से
"किसी के दिल टूटने की वजह
मैं नहीं बनना चाहती
पर हम जब-तक चाहेंगे
तब-तक 'दोस्त' बने रहेंगे"
यहीं ज़िन्दगी है?
फिर
लड़के ने
उसी रात
सपने में
लड़की से ये बोलता पाया
"देखो
ऐसा भी वक़्त जीवन में आता है,
जब अच्छा-खासा दोस्त भी दुश्मन बन जाता है
और
जब दोस्त दुश्मन बन जाये
तो
इन्सान को अर्श से फर्श पर आने में
वक़्त नहीं लगता"
यही ज़िन्दगी है?
लड़का सोचता है
उसे ताउम्र 'दोस्त' बन
उस लड़की के साथ रहना है
लड़की को पढना है
कि
आखिर किस भाषा में लिखी गई थी
वह लड़की !
यहीं ज़िन्दगी है?
लड़का सोचता है
कि
उसके सारे ख्वाहिशों को
लड़की
पंख तो दे नहीं सकती
फिर सोचता है
वो ख्वाहिशें सिर्फ उसके ज़ेहन की नहीं
लड़की भी तो आधे की हक़दार थी
बेखबर आवारा
वो लड़का
यहीं ज़िन्दगी है?
वह लड़का
पता नहीं
क्या-क्या सोचता गया
उलझता गया
लड़की बिखरती गई उसमें
साथ में वह खुद भी
पर
किसी मोड़ से
लौटकर वापस आ गया
लड़का शयद !
ख़ुद से मिल गया है वो शायद !
एक दिन
उगता हुआ सूरज
मुस्कुराकर
कहता है लड़के से
"घर पर अब इंतजार नहीं हो रहा तुम्हारा"
यहीं ज़िन्दगी है?
सामने दूर..बहुत दूर ही सही,
एक मंजिल तो है
एक नाव के लिए,
एक ही मांझी,तो है
मांझी नहीं तो
ख़ुद वो तो है ही
ख़ुद को किसी भी राह पर
ले जाकर
भटक कर
थक कर
फिर
लौट जाना
पर
अपने अन्दर के इन्सान को
जिंदा रखना
जी हाँ !
यहीं ज़िन्दगी है...
- मन
बहुत गहरी रचना ... सोचने को मजबूर करती है ...
जवाब देंहटाएंआभार
हटाएंकाफी अच्छा लगा आपके ब्लॉग पर आकर
जवाब देंहटाएंअच्छा ब्लॉग है आपका !
आपका ब्लॉग फॉलो कर रहा हूँ
आपसे अनुरोध करता हूँ की मेरे ब्लॉग पर आये
और फॉलो कर अपने सुझाव दे
धन्यवाद :)
हटाएंबहुत शानदार
जवाब देंहटाएं