14 फ़रवरी 2015

मेरा गाँव

उस दिन भी गुजर जाने वाली एक रात की ख़ुशनुमा सुबह आई होगी।ख़ामोश-काली रात,मजदूरी करके ऊँघते हुए अपने घर जाने की तैयारी में होगा।सूरज की किरणों के सामने हर दिन की तरह सुबह हाज़िरी देने आई होगी।चिड़ियों की आवाज़ सुनने के लिए बेसुध कान फड़फड़ाते होंगे।बैल,भगत जी को लेकर खेतों पर जा रहे होंगे।बाल्टी,हाथ थामे औरतों की गणेश मिसिर के कुँए के करीब जा रहे होंगे।अख़बार,काका का चेहरा पढ़ रहा होगा।सरकारी स्कूल,रोते हुए मुन्ना को बुला रहा होगा।मुन्ना के हाथों में जाते हुए अट्ठनी सुन रहा होगा "ईस्कुले ना जईबे त चिठ्ठियाँ के पढ़ी?" आवाज करती हुई बर्तन हंसती हुई मुनिया के पास जा रही होगी।दुआ ने माँ से आँखें मुंदने के लिए कहा होगा।बिना छाँव का ताड़-सा लम्बा दोपहर लेके डाकिया आया होगा।डाकिये के पास एक गिलास ठंडा पानी चल के आया होगा।उसके झोले से आंसू निकले होंगे और मन में उनके नमकीनपन की गमगिनीयत रह गया होगा।सुहानी सी शाम आँगन में उतरी होगी।लड़कियों के होंठो पर कोई गीत चढ़कर पगडंडियों से घर लौट रहा होगा।चारपाई पर थकान आराम कर रहा होगा।पतंगे कट कर बच्चों के लिए गिर रही होंगी।मिट्टी तेल वाली ढ़िबरी से फैलती हुई जबरदस्ती की रौशनी अंधेरों से पस्त हुई मालूम होती होगी।कोई किताब है जो पढ़ते-पढ़ते छूट गई होगी और उसके अधखुले पन्ने पर एक चींटी रेंग रही होगी।एक औरत जो अंधेरे कमरे में उतर रही होगी जिसका नाम तकलीफ़ या हताशा हो सकता है।पूरी उम्र और थोड़ी उदासी लिए...सुकून बेहद कम होंगे और जो होंगे वे भादो की बारिश में चेहरे से धुल गए होंगे...

ऐसे ही मेरे गाँव के साथ चलते-चलते नदी आ जाती होगी जिसमें समय बहता जा रहा होगा,बहुत सारी यादों को किनारे ही छोड़कर।खूब सारे तस्वीर के रंग...कहीं चटख तो कहीं बेनूर...

समय को वापस नहीं बुलाया जा सकता,उसे याद रखा जा सकता है या भुलाया जा सकता है।हम सब यही तो करते हैं।कितनी गहरी हो कोई याद,धीरे-धीरे समतल हो जाती है।कांच की तरह समतल,जिस पर चलना फिसलन से भरा होता है।

                                                   - मन

9 टिप्‍पणियां:

  1. Ye kahani tumne yahi baith kar sunaai hoti. Guzrte hue samay par mera vishwas kuchh aur badh jata.Marmik!

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  2. सुन्दर सार्थक प्रस्तुति...

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  3. आपकी लिखी रचना "पांच लिंकों का आनन्द में" शनिवार 16 जनवरी 2016 को लिंक की जाएगी ....
    http://halchalwith5links.blogspot.in
    पर आप भी आइएगा ....धन्यवाद!

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  4. तुम्हारे गावँ से उठती है, सौंधी सी खुशबू, जिससे शब्द तुम्हारे तरबतर है,..!!


    बेहद सुंदर

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कैसे भी लिखिए,किसी भी भाषा में लिखिए- अब पढ़ लिए हैं,लिखना तो पड़ेगा...:)