22 अगस्त 2012

पाने की धुन में...

तेरे ही यादों के सहारे
मिले हैं जीने के इशारे
तेरा ना होना भी होना हैं,
जैसे कि तुझे खोकर भी पाना हैं

तेरे संग जो पल बिताए,
सब भूले ना भुलाए
अगर याद ना भी करना चाहूँ,
तो पलकों पर दो बूंद बनके आए

याद करते-करते उन लम्हों को,
अब लम्हा ठहर सा जाता हैं
पाने की धुन में ये भूल गए,
कि यहाँ 'कुछ' खोना भी होता हैं |
           
                      -"मन"

1 टिप्पणी:

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