12 नवंबर 2012

क्यूँ ???

क्यूँ
फैला है सन्नाटा
पर छंटती नही भीड़ है...

क्यूँ
रिश्ते है जुड़े हुए,
पर एहसास का निशां नही...

क्यूँ
साथ है तुम्हारा,
पर पास तुम अब भी नही...

क्यूँ
उजाला है चारों तरफ,
पर दिखता सिर्फ अँधेरा है...

क्यूँ
राहें बनी है गुमराह,
खबर नही मंजिल की भी...

क्यूँ
जान नही पाया,
अपने ही खुद को...

क्यूँ
मिला है सबकुछ,
पर बाकी है एक कसक...

क्यूँ
हो गया मै सबका,
पर कोई हमारा ना हो सका...

                                   -"मन"

17 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत बढिया । आपको दीपावली की शुभकामनायें

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  2. Tyohar par to log khana-peena bhool jate hain, tum badhiya sochna aur likhna bhi nahin bhoole, Laxmi pooja parv par bhi Saraswati saath hain tumhaare, akela mat samjho khud ko.Happy Deewali!

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  3. बढ़िया सोच
    तलाशती ज़मीन
    सुंदर भाव ।

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  4. वाह ... बेहतरीन
    '' दीप पर्व की अनंत शुभकामनाएं ''

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  5. सवालो से भरी है जिन्दगी....
    कुछ न कुछ उलझने तो रहती ही है...
    आपको सहपरिवार दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएँ
    :-)

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  6. मंगलमय हो दीपों का त्यौहार... आपको व आपके समस्त परिवार को दीपावली की हार्दिक शुभकामनायें......

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  7. दीपावली की हार्दिक शुभकामनायें.

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  8. बहुत सुंदर प्रयास .....!!

    क्यूँ का जवाब अपने भीतर ही तलाशना पड़ता है ....:))

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  9. जिंदगी सवालों का ढेर ही तो है ... बहुत सारे क्यूँ हैं जो अनुत्तरित ही रह जाते हैं ....सुन्दर रचना के लिए बधाई।।
    सादर
    मंजु

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  10. आज मैंने हर सवाल का जवाब तलाश लिया ,
    अब जिंदगी में खालीपन सा दिखता क्यूँ है ?

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  11. बहुत सुन्दर ! क्यों ? यह प्रश्न तो पीछा नहीं छोड़ता
    New post; Gandhari ke raj men !

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आपका कुछ भी लिखना,अच्छा लगता है इसीलिए...
कैसे भी लिखिए,किसी भी भाषा में लिखिए- अब पढ़ लिए हैं,लिखना तो पड़ेगा...:)