मुंशी प्रेमचंद जी कहते हैं कि "जीवन का वास्तविक सुख,दूसरों को सुख देने में है,उनका सुख लूटने में नही"
सबके पास अपनी-अपनी ज़िंदगी है,वक्त भी बहुत है पर शायद,दूसरों के लिए नही | जहाँ एक ओर हम कहते हैं कि ज़िंदगी के इस सफ़र में खुद से बड़ा कोई हमसफ़र नही होता वहीँ दूसरी तरफ कि हमारे सुख या दुःख में हमें किसी ऐसे इंसान की जरुरत पड़ती है जो भले हमारे ख़ुशी से खुश न हों पर दुःख में दुखी जरुर हों,जो हमें समझता हों,जो ज़िंदगी,ख़ुशी और प्यार के सही मायनों से हमें वाकिफ़ करवाता हों...
तो फिर सही क्या है? गलत किसे कहें और किसी एक को सही मान ले तो,क्यूँ? दोनों बातें हमारे सामने हैं,फैसला हमारे हाथों में है कि हम किस बात को अपनी ज़िंदगी के लिए चुनते हैं...किस बात से हमारी ज़िंदगी में ख़ुशी आती है या इससे बढ़कर कि हमें,हमारी ज़िंदगी में खुश रहने की वजह से और कितनी जिंदगियों में खुशियाँ हैं |
जब हमें ज़िंदगी,ख़ुशी,प्यार के सही मायने पता चलते हैं तो हम खुश रहते हैं और हर कोई जो हमारी ज़िंदगी में आता है वो किश्तों में गम और एकमुश्त ख़ुशी लिए हुए आता हैं,इसके पीछे वजह हमारे नज़रिए का भी हों सकता है पर वजह चाहें हालात कैसे भी हों,हमें खुश रहना चाहिए...हमारी वजह से वे लोग खुश रहते हैं जो हमसे जुड़े हुए हैं और फिर उन्हें खुश देखकर हमें और ख़ुशी मिलती हैं |
- "मन"
सबके पास अपनी-अपनी ज़िंदगी है,वक्त भी बहुत है पर शायद,दूसरों के लिए नही | जहाँ एक ओर हम कहते हैं कि ज़िंदगी के इस सफ़र में खुद से बड़ा कोई हमसफ़र नही होता वहीँ दूसरी तरफ कि हमारे सुख या दुःख में हमें किसी ऐसे इंसान की जरुरत पड़ती है जो भले हमारे ख़ुशी से खुश न हों पर दुःख में दुखी जरुर हों,जो हमें समझता हों,जो ज़िंदगी,ख़ुशी और प्यार के सही मायनों से हमें वाकिफ़ करवाता हों...
तो फिर सही क्या है? गलत किसे कहें और किसी एक को सही मान ले तो,क्यूँ? दोनों बातें हमारे सामने हैं,फैसला हमारे हाथों में है कि हम किस बात को अपनी ज़िंदगी के लिए चुनते हैं...किस बात से हमारी ज़िंदगी में ख़ुशी आती है या इससे बढ़कर कि हमें,हमारी ज़िंदगी में खुश रहने की वजह से और कितनी जिंदगियों में खुशियाँ हैं |
जब हमें ज़िंदगी,ख़ुशी,प्यार के सही मायने पता चलते हैं तो हम खुश रहते हैं और हर कोई जो हमारी ज़िंदगी में आता है वो किश्तों में गम और एकमुश्त ख़ुशी लिए हुए आता हैं,इसके पीछे वजह हमारे नज़रिए का भी हों सकता है पर वजह चाहें हालात कैसे भी हों,हमें खुश रहना चाहिए...हमारी वजह से वे लोग खुश रहते हैं जो हमसे जुड़े हुए हैं और फिर उन्हें खुश देखकर हमें और ख़ुशी मिलती हैं |
- "मन"
सुख दू:ख सब व्यक्ति के रवैया या दृष्टिकोण पर निर्भर करता है .एक ही बात पर वह कभी खुश होता है तो कभी दू:खी . हाँ यदि कोई अपनी बात से खुश होते है तो हमें भी ख़ुशी होती है
जवाब देंहटाएंlatest post भक्तों की अभिलाषा
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हमारी वजह से वे लोग खुश रहते हैं जो हमसे जुड़े हुए हैं और फिर उन्हें खुश देखकर हमें और ख़ुशी मिलती हैं | सही बात
जवाब देंहटाएंहोली की शुभकामनाएँ....
:-)
मैंगो मैन साहब, ये जीवन उनका है जिन्होंने जीवन दिया..ये ख़ुशी उनकी है जिन्होंने हमें खुश रखा... और सबसे बड़ी बात ये कि हमारे खुश रहने से कई जिंदगियां, कई चेहरे खुश रहते हैं....
जवाब देंहटाएंहोली की शुभकामनाएं ....
बहुत सही कहा है आपने आपको होली की हार्दिक शुभकामनायें होली की शुभकामनायें तभी जब होली ऐसे मनाएं .महिला ब्लोगर्स के लिए एक नयी सौगात आज ही जुड़ें WOMAN ABOUT MAN
जवाब देंहटाएंखुशी के रंग हजार ....
जवाब देंहटाएंहोलिकोत्सव की अनंत शुभकामनाएं
बहुत सुन्दर प्रस्तुति........होली की हार्दिक शुभकामनायें।
जवाब देंहटाएंbahut sahi kaha aapne ,holi ki shubhkamna
जवाब देंहटाएंसुख साझा होता है .. ओर बांटने से बढ़ता है ... यही तो जीवन है ...खुश रहना ओर रखना चाहिए ...
जवाब देंहटाएंहोली की मंगल कामनाएं ...
किश्तों में गम और एकमुश्त ख़ुशी ....सही कहा है बहुत सुन्दर
जवाब देंहटाएंतुम तो hostel में रहते होगे तो ज्यादा अच्छे से समझ सकते हो , खाना कैसा भी हो अकेले खाने में वो मजा नहीं जो साथ बैठकर एक दूसरे से छीनकर/बांटकर खाने में है |
जवाब देंहटाएंएक पिज्जा आता है और १० लोगों में बंटता है :)