8 मई 2013

कविता-सा कुछ...

तुम्हें लिखने की कोशिश-भर में
लफ़्जों का दूर तलक चले जाना
बोझिल पलकों से इंतजार,
उन रूठे लफ़्जों का
पर अफ़सोस कि
जज्बात,चढ़ते नहीं कलम पर
और फिर...
अधूरी रह जाती है
तुम्हें याद करके लिखी जाने वाली,
एक कविता-सा कुछ...
उम्मीद है
तुम महसूस करोगे
मेरी लिखी हुई अधूरी कविता से,
उन ढेर सारे अधूरे एहसास को
जिन्हें बयां नहीं कर पाए,मेरे पूरे शब्द भी...
वक्त की परत समेट ले गई,
तुम्हारे हिस्से के भी लफ्ज़
शायद इसीलिए,तुम्हारे बारे में
ठीक-ठीक कहने लायक
कुछ भी नहीं है,मेरे पास
और फिर...
अधूरी रह जाती है
तुम्हें याद करके लिखी जाने वाली,
एक कविता-सा कुछ...

फिर भी
मन के कोने में,
कुछ 'शायद' जैसा ढलता जा रहा है 'यकीन' में
कि ये कविता अधूरी है...
और वजह भी है कि,
कोशिश करके कुछ भी लिखा नहीं जा सकता...

                                        - "मन"

12 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत सुन्दर एहसास की अभिव्यक्ति !
    latest post'वनफूल'

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  2. बहुत खूब ...
    पर कई बार शब्दों की जरूरत नहीं पड़ती ... कुछ अधूरे शब्द पूरा ग्रन्थ बन जाते हैं ... प्रेम को कहने, सुनने की जरूरत कहां ...

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  3. बेहतरीन अभिव्‍यक्ति ....

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  4. शब्द तो यादों में ही गुम हो जाते है,पन्नों पर तो रह जाता है कविता सा कुछ...
    बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति..

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  5. आपने लिखा....हमने पढ़ा
    और लोग भी पढ़ें;
    इसलिए कल 09/05/2013 को आपकी पोस्ट का लिंक होगा http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर
    आप भी देख लीजिएगा एक नज़र ....
    धन्यवाद!

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  6. अधूरी रह जाती है
    तुम्हें याद करके लिखी जाने वाली,
    एक कविता-सा कुछ...
    जज्बातों को व्यक्त कर पाना आसान नहीं होता...
    अच्छी अभिव्यक्ति..

    अनु

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  7. तुम्हें याद करके लिखी जाने वाली,
    एक कविता-सा कुछ...
    ------------------------------

    मन की कवितायें अधूरी ही होती है मैंगो मैन साहब ...

    बढ़िया लिखा आपने..

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  8. वाह! बहुत खूब!
    मुझे "यकीन" है कविता पूरी होगी ....

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  9. बहुत खूब जनाब ......कैसे हैं जब भी टाइम मिलता हैं आपकी कविताएँ पड़ता रहता हूँ

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  10. कविता कभी पूरी नहीं होती , उसे सिर्फ एक मोड पर लाकर छोड़ा जा सकता है | :)

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आपका कुछ भी लिखना,अच्छा लगता है इसीलिए...
कैसे भी लिखिए,किसी भी भाषा में लिखिए- अब पढ़ लिए हैं,लिखना तो पड़ेगा...:)