21 मई 2013

गलत और सही...

कुछ भी सही
और
कुछ भी गलत
कभी नहीं होता...कभी नहीं,
नज़रिए की बात है
हमारे लिए जो सही है
वो कतई जरुरी नहीं,
औरों के लिए भी सही हो
और
गलत के साथ भी यही है |
दुनिया वैसी नहीं है
जैसा हम सोचते हैं...
और
जैसा और जितना सोचते हैं,
दुनिया बिल्कुल वैसी ही है
हाँ,
सोच-जरुरत-जज़्बात को लेकर,
कोई पहलू सही-गलत जरुर है |
हमारे पास खूबसूरत ज़िंदगी है,
सोचने का तरीका है
खुद कीजिए सही-गलत में अन्तर
क्यूंकि,
सही जितना गलत है
गलत उतना ही सही |
और फिर जरुरत भी कहाँ है,
कि
हर-बात को सही-गलत की हद तक
खींचकर लायें,
कभी-कभी दूसरों को हँसता देखकर
हमें मुस्कुराना भी चाहिए...

                                        - "मन"

11 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत ही सुन्दर प्रस्तुति,आभार.

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  2. सच कहा ... जरूरी नहीं आंकलन करना हर बात का ... कभी कभी आराम भी करना चाहिए ... जो है उसे महसूस करना चाहिए ... आनद लेना चाहिए ...

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  3. सच कहा...हर बात को सही गलत के तरीजू पर नहीं तौलना चाहिए...

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  4. बहुत सुन्दर भावनात्मक अभिव्यक्ति .मन को छू गयी .आभार . बाबूजी शुभ स्वप्न किसी से कहियो मत ...[..एक लघु कथा ] साथ ही जानिए संपत्ति के अधिकार का इतिहास संपत्ति का अधिकार -3महिलाओं के लिए अनोखी शुरुआत आज ही जुड़ेंWOMAN ABOUT MAN

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  5. सही जितना गलत है
    गलत उतना ही सही | :)
    अंत भी बहुत सुन्दर है (y)

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  6. baat mein vajan hai...dam hai...chaliye muskura detey hain :) :) :)

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  7. और फिर जरुरत भी कहाँ है,
    कि
    हर-बात को सही-गलत की हद तक
    खींचकर लायें,
    कभी-कभी दूसरों को हँसता देखकर
    हमें मुस्कुराना भी चाहिए...

    सही गलत ढूँढने में ही कहीं हम उलझ कर न रह जाएं
    बहुत ही सुन्दर सार्थक रचना

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  8. कभी-कभी दूसरों को हँसता देखकर
    हमें मुस्कुराना भी चाहिए................सही कहा आपने मंटू जी , बहुत बढियां प्रस्तुति ।

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  9. नज़र बदलते ही नज़ारे बदलते हैं........सब नजरिये का खेल है......बहुत अच्छा लिखा है ।

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