जहाँ खुद ही खुद से जिरह हो
जहाँ कुछ यकीन करने
और न करने के दरम्यान
खुद से मिलना न पड़े
जहाँ खुली आँखों के सामने
धुँधली दिखने लगे दुनिया
जहाँ कुछ खोने के डर से
बेतरतीब होते जाएँ सपने
जहाँ अपने करीबी के पास
वजह हो,दूर हो जाने का
जहाँ पसंद-नापसंद
मायने न रखते हो
जहाँ शिकवे-गिले रहने लगे
कुछ बेहतरी से ज्यादा
फिर वहाँ पर,
ज़िंदगी के रास्तों को
कुछ पल के लिए थामकर
दूसरों की नज़र से
खुद को टटोलना फिर
हम जो है,उसमें से
झूठ को बेदखल कर
सच को जगह देने के लिए
हर मुमकिन कोशिश करना
बेहद जरुरी है
क्योंकि,
कहीं न कहीं ज़िंदगी के हर मोड़ पर
हम भी और एक सुकून भरी ज़िंदगी भी,
हमसे यही तो चाहती है...
- "मन"
दूसरों की नज़रं से देखने से जिंदगी ला सकून कहां मिलता है ...
जवाब देंहटाएंवो भी एक माया ही मिलती है ...
badhiya aur sundar post..
जवाब देंहटाएंवाह.....बहुत सुन्दर।
जवाब देंहटाएंDhanywad...
जवाब देंहटाएंati sundar ....
जवाब देंहटाएंबहुत ही अच्छी प्रस्तुति... बहुत बहुत बधाई...
जवाब देंहटाएं@मेरी बेटी शाम्भवी का कविता-पाठ
हम भी और एक सुकून भरी ज़िंदगी भी,
जवाब देंहटाएंहमसे यही तो चाहती है...
.......अच्छी प्रस्तुति
बहुत सुन्दर भाव....
जवाब देंहटाएंअनु
सुन्दर अहसास .और सुन्दर भाव लिए
जवाब देंहटाएंअति सुन्दर रचना..
:-)
बेहद सुन्दर रचना
जवाब देंहटाएंहम जो है,उसमें से
जवाब देंहटाएंझूठ को बेदखल कर
सच को जगह देने के लिए
हर मुमकिन कोशिश करना
बेहद जरुरी है....
क्या कहने मंटू जी बहुत उम्दा बात कही
हर किसी के लिए जरूरी है, खुद को तरशते रहना
पढ़ लिए हैं इस लिए नहीं लिख रहे बल्कि अच्छा लगा इस लिए लिख रहे है, बहुत खूब मंटू जी...
जवाब देंहटाएं" बेहद उम्दा " भैया ....
जवाब देंहटाएंआखिर... जिंदगी भी तो यही चाहती है ....
बहुत ही बढ़िया कहा आपने जिंदगी के बारे में
जवाब देंहटाएंhttp://puraneebastee.blogspot.in/