7 जून 2013

ख़ुशी की वजह...

बेवजह खुश रहने के पीछे भी एक वजह होती है...चाहे वजह,वक्त की परतों में दब गई हो या फिर मुस्कुराने का सबब उस वजह को भुला देना चाहता हो...कुछ भी हो,अगर गम के लिए वजह हमारी ज़िंदगी बनती है तो हमारे चेहरे पर हर छोटी सी मुस्कुराहट को लेकर हमारी ज़िंदगी ही आती है...

ख़ुशी के लिए
ज़िंदगी को
कुछ लम्हों तक
गमों के रास्तों से गुजार देना
जरुरी है
बेइंतहा सुकूं के लिए
कभी-कभी
पलकों को भिगो देना...
फिर
पहुँच जायें उस हद तक
जहाँ नौबत न आयें
किस्मत के भरोसे रहने का
जहाँ आँखें नम होकर
तरीका सिखा दे
हँसते हुए सँभलने का...
तब
करें कुछ उस आज में ऐसा
कि
जो वक्त गुजरा है
किसी को भुला देने में,
उन्हीं लम्हों में जाकर
जी चाहें
मुस्कुरा देने का...

                    - "मन"

13 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत सुन्दर भावनात्मक अभिव्यक्ति ..आभार . चमन से हमारे जाने के बाद . साथ ही जानिए संपत्ति के अधिकार का इतिहास संपत्ति का अधिकार -3महिलाओं के लिए अनोखी शुरुआत आज ही जुड़ेंWOMAN ABOUT MAN

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  2. जो वक्त गुजरा है
    किसी को भुला देने में,
    उन्हीं लम्हों में जाकर
    जी चाहें
    मुस्कुरा देने का...
    ------------
    सुन्दर अभिव्यक्ति

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  3. आपकी इस प्रविष्टी की चर्चा कल रविवार (09-06-2013) के चर्चा मंच पर लिंक की गई है कृपया पधारें. सूचनार्थ

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  4. आपने लिखा....हमने पढ़ा
    और लोग भी पढ़ें;
    इसलिए कल 09/06/2013 को आपकी पोस्ट का लिंक होगा http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर
    आप भी देख लीजिएगा एक नज़र ....
    धन्यवाद!

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  5. भावपूर्ण अभिव्यक्‍ति !

    जवाब देंहटाएं
  6. ख़ुशी के लिए
    ज़िंदगी को
    कुछ लम्हों तक
    गमों के रास्तों से गुजार देना
    जरुरी है
    बेइंतहा सुकूं के लिए
    कभी-कभी
    पलकों को भिगो देना...बहुत सुन्दर भाव ,अच्छी प्रस्तुति !

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  7. अदभुत भाव लिये सुंदर रचना. बहुत अच्छी प्रस्तुति.

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  8. बहुत ही लाजवाब ... बीते हुए लम्हों में जाके उनके बदलने का एहसास बहुत ही मधुर है ...
    भावपूर्ण रचना है ...

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आपका कुछ भी लिखना,अच्छा लगता है इसीलिए...
कैसे भी लिखिए,किसी भी भाषा में लिखिए- अब पढ़ लिए हैं,लिखना तो पड़ेगा...:)