7 जून 2020

संभावना कविता हो जाने की...


प्रेम
भरोसा
जिम्मेदारी
मजबूत हाथ
सहमा एक खरगोश
अँधेरी रात में जाती रेल
पत्ते पर अटकी बारिश की बूँद
अधखुली एक किताब पर रेंगती चींटी
सुकून से हाँफती कुत्ते से बच गयी बिल्ली
प्याले में ठहर गयी फीकी चाय की आख़िरी घूँट
बाँट देने के बाद भी रूठी साईकल पर बचा अख़बार
आख़िरी विदा में एक बार और हाथ थामने की ख़्वाहिश
एक कसक पिता से न कह सकने की 'बहुत प्यार है आपसे भी'
बिजली के तारों पर बैठी भीगे पंखों वाली कबूतरों की कतारें
त्यागे गए घर में मकड़-जाल से लिपटा एक बुझा लालटेन
नींद की आगोश में अधूरी छोड़ दी गई एक प्रेम कहानी
भटक गए राही के लिए नुक्कड़ पर पान की दुकान
नदी किनारे अरसे से लावारिस पड़ी एक नाव
बिन पते का लिखा गया एक गुमनामी ख़त
बिस्तर पर कईं रातों की बेचैन सिलवट
शांत सहरा में दो जोड़े पैरों के निशां
खिड़की पर उम्मीद की किरण
घर की चौखट पर दीया
दरवाजे पर सुकून
सुकूँ में दो दिल
दो दिल
दिल
दो

:)

8 टिप्‍पणियां:

  1. वाह बहुत खूबसूरती है कविता की बानगी में
    बहुत सुन्दर

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  2. वाह , मंटू जी , रचनाही बढ़िया और सजावट भी उत्तम 👌👌👌🙏🙏

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