दुनिया जानती है-
मंटो पागल होने से मरा
मीरा कुमारी शराब की लत से
बटालवी भी शराब की लत से
प्रेमचंद पेट के रोग से
मुक्तिबोध लकवे से
संजीव कुमार हृदयाघात से
धूमिल ब्रेन ट्यूमर से
सफ़दर हाशमी नेता की रॉड से
गुरु दत्त नींद की गोली से
वैन गा ख़ुद की गोली से
चे ग्वेरा सत्ता की गोली से
कीट्स टीबी से
वर्जीनिया वुल्फ नदी में डूबने से
और
सुशांत फंदे से मरा।
गौरव सोलंकी【वही 'ग्यारहवीं A के लड़के' वाले】कहते हैं-
"कुछ लोग प्रेम न मिलने पर भी मर जाते थे, चाहे प्रेम सिर्फ़ एक झूठी अवधारणा ही हो। लेकिन डॉक्टर समझदार थे कभी किसी पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट में नहीं लिखा गया कि अमुक व्यक्ति प्यार की कमी से मर गया। यदि दुनिया भर की आज तक की सब पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट देखी जाएँ तो यही निष्कर्ष निकलेगा कि दुनिया में हमेशा प्यार बहुतायत में रहा। लोग सिर्फ़ कैंसर, पीलिया, हृदयाघात और प्लेग से मरे।"
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किसी पत्रिका के अगले अंक में ओशो, सद्गुरु, श्री श्री आपको आत्महत्या करने से बचाते हुए नज़र आयेंगे। फिर भी अख़बार का तीसरा पेज आरक्षित रहेगा आत्महत्या करने वालों के मनहूस ख़बरों से। जैसा हर बार होता है, होता रहेगा।
तोहमत, अटकलें, लफ्फाजियाँ, बयानबाजी, सपाट रवैया...आदतन।
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