उसने प्यार किया जैसे ख़ुद को
समाज की नज़र में साबित करने की खातिर
प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए फॉर्म में भरता गया
फर्स्ट नेम, मिडिल नेम, लास्ट नेम और डेट ऑफ बर्थ
और ऐसी ही बहुत सारी गैरजरूरी जानकारी
और असफल होता रहा।
जैसे प्यार में
असफल हुआ जाता है,
अपना पसंदीदा रंग, पक्षी
प्रिय कवि, गीत, फिल्म, अभिनेता, अभिनेत्री
मनपसन्द मौसम, सपनों के शहर के बारे में प्रेमिका को बताकर।
फिर भी वो ख़ुद को साबित करने की जिद्द पर अड़ा रहा
प्यार भी करता रहा कैलेंडर बदलने की तरह
करता रहा जानबूझकर जरूरी गलतियाँ
फिर प्रेमिकाओं के बद्दुआएँ ढोते हुए
परीक्षाओं में असफल होकर
समाज के लिए घृणित
होता गया।
जैसे किताबें
किसी को देकर भूला दी जाती हैं
वैसे ही समाज को ताक पर रखकर
प्रेम करते हुए उसने प्रेमिकाओं को भूला दिया।
समाज लायक(?) बनते-बनते जब थक गया तो
डेट ऑफ बर्थ इस लायक नहीं रही कि भर सके अब फॉर्म
गुमान की जाने वाली जवानी भी नहीं रही कि लड़कियाँ हो जाए फिदा।
ताने, जहालत, दुनियादारी, पेट और पेट के नीचे की भूख
जब समाज का चेहरा बनकर हावी होने लगा तब
उसने खुद से चुपचाप प्यार किया और शोर करते हुए उदास हुआ
'पागल है' का तमगा हासिल किया और
किसी लम्बी दूरी की ट्रेन में लावारिस शव बनके
बनारस स्टेशन के आउटर पर फेंका गया।
अगले दिन के अख़बार के किसी कोने में
शव पहचानने की सूचना छपी
जिसे समाज और प्रेमिकाओं ने चाय पीते हुए पढ़ा।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
आपका कुछ भी लिखना,अच्छा लगता है इसीलिए...
कैसे भी लिखिए,किसी भी भाषा में लिखिए- अब पढ़ लिए हैं,लिखना तो पड़ेगा...:)