कभी ज़िंदगी के साथ जीया हूँ,
तो कभी छोड़ आता हूँ पीछे कहीं...
कभी हर गम को पीता हूँ,
तो कभी छोड़ देता हूँ आँसूओं के साथ उन्हें...
कभी लिखता हूँ खुद कि तक़दीर को,
तो कभी उसके भरोसे भी नही चल पाता हूँ...
कभी हर दिल में घर बनाने की कोशिश करता हूँ,
तो कभी बेदखल हों जाता हूँ खुद से ही...
पर सोच के मुस्कुराता हूँ कि
जो वक्त ने राह दिखाई है,ज़िंदगी को
उसकी खबर नही है मुझको,पर
उस राह पर चलना बखूबी जानता हूँ मै...
- "मन"
तो कभी छोड़ आता हूँ पीछे कहीं...
कभी हर गम को पीता हूँ,
तो कभी छोड़ देता हूँ आँसूओं के साथ उन्हें...
कभी लिखता हूँ खुद कि तक़दीर को,
तो कभी उसके भरोसे भी नही चल पाता हूँ...
कभी हर दिल में घर बनाने की कोशिश करता हूँ,
तो कभी बेदखल हों जाता हूँ खुद से ही...
पर सोच के मुस्कुराता हूँ कि
जो वक्त ने राह दिखाई है,ज़िंदगी को
उसकी खबर नही है मुझको,पर
उस राह पर चलना बखूबी जानता हूँ मै...
- "मन"