उसने प्यार किया जैसे ख़ुद को
समाज की नज़र में साबित करने की खातिर
प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए फॉर्म में भरता गया
फर्स्ट नेम, मिडिल नेम, लास्ट नेम और डेट ऑफ बर्थ
और ऐसी ही बहुत सारी गैरजरूरी जानकारी
और असफल होता रहा।
जैसे प्यार में
असफल हुआ जाता है,
अपना पसंदीदा रंग, पक्षी
प्रिय कवि, गीत, फिल्म, अभिनेता, अभिनेत्री
मनपसन्द मौसम, सपनों के शहर के बारे में प्रेमिका को बताकर।
फिर भी वो ख़ुद को साबित करने की जिद्द पर अड़ा रहा
प्यार भी करता रहा कैलेंडर बदलने की तरह
करता रहा जानबूझकर जरूरी गलतियाँ
फिर प्रेमिकाओं के बद्दुआएँ ढोते हुए
परीक्षाओं में असफल होकर
समाज के लिए घृणित
होता गया।
जैसे किताबें
किसी को देकर भूला दी जाती हैं
वैसे ही समाज को ताक पर रखकर
प्रेम करते हुए उसने प्रेमिकाओं को भूला दिया।
समाज लायक(?) बनते-बनते जब थक गया तो
डेट ऑफ बर्थ इस लायक नहीं रही कि भर सके अब फॉर्म
गुमान की जाने वाली जवानी भी नहीं रही कि लड़कियाँ हो जाए फिदा।
ताने, जहालत, दुनियादारी, पेट और पेट के नीचे की भूख
जब समाज का चेहरा बनकर हावी होने लगा तब
उसने खुद से चुपचाप प्यार किया और शोर करते हुए उदास हुआ
'पागल है' का तमगा हासिल किया और
किसी लम्बी दूरी की ट्रेन में लावारिस शव बनके
बनारस स्टेशन के आउटर पर फेंका गया।
अगले दिन के अख़बार के किसी कोने में
शव पहचानने की सूचना छपी
जिसे समाज और प्रेमिकाओं ने चाय पीते हुए पढ़ा।
30 जून 2020
25 जून 2020
ज़रूरत बनाम ज़िम्मेदारी
पिता की ज़रूरत में
टॉर्च, रेडियो, एक लाठी
एक साईकल, कोठारी गंजी
सूती कमीज़, पैंट, एक सफेद गमछा
सुबह की चाय, दो वक़्त का खाना
सात वक़्त का तम्बाकू
और कभी-कभी
एक खिल्ली मीठा पान ही शामिल रहा।
ज़रूरत से कहीं अधिक
पिता के लिए सबकुछ ज़िम्मेदारी ही रहा-
उनकी माँ से लेकर उनके बच्चों की माँ तक
घर की टूटी दीवार से लेकर बच्चों की नौकरी तक
दुआर पर गाय से लेकर धान उगाने वाले खेत तक
जब-जब बीमार हुए पिता
उन्हें डागदर बाबू की दवाई ने कम
ज़िम्मेदारी ने अधिक बार ठीक किया।
ज़रूरत कम होने और
ज़िम्मेदारी बढ़ने के साथ ही
पिता जैसे-जैसे तब्दील होते गए सूरज में,
माँ पृथ्वी बन काटने लगी उनका चक्कर।
पिता तुनकमिजाज होते गए
देवताओं के पास माँ की अर्ज़ी में बढ़ोतरी होती गई।
बुरी नज़र से बचाने और सलामती की ख़ातिर
आरती गाती हुई माँ की आवाज़ का
घण्टी की आवाज़ पर हावी होने से लेकर
घण्टी की आवाज़ का माँ की आवाज़ पर हावी होने तक
पिता हमारी ज़रूरत से खारिज़ होकर ज़िम्मेदारी बन गए।
माँ पूजाघर में ही विलुप्त हो गई एक दिन
और
पिता एक दिन अचानक घर आना भूल गए।
ज़रूरतें तुली हुई हैं कि
माँ जैसी चीज़ें विलुप्त हो जाए
और ज़िम्मेदारियाँ अमादा हैं कि
पिता जैसी चीज़ें घर का रास्ता भूल जाए।
टॉर्च, रेडियो, एक लाठी
एक साईकल, कोठारी गंजी
सूती कमीज़, पैंट, एक सफेद गमछा
सुबह की चाय, दो वक़्त का खाना
सात वक़्त का तम्बाकू
और कभी-कभी
एक खिल्ली मीठा पान ही शामिल रहा।
ज़रूरत से कहीं अधिक
पिता के लिए सबकुछ ज़िम्मेदारी ही रहा-
उनकी माँ से लेकर उनके बच्चों की माँ तक
घर की टूटी दीवार से लेकर बच्चों की नौकरी तक
दुआर पर गाय से लेकर धान उगाने वाले खेत तक
जब-जब बीमार हुए पिता
उन्हें डागदर बाबू की दवाई ने कम
ज़िम्मेदारी ने अधिक बार ठीक किया।
ज़रूरत कम होने और
ज़िम्मेदारी बढ़ने के साथ ही
पिता जैसे-जैसे तब्दील होते गए सूरज में,
माँ पृथ्वी बन काटने लगी उनका चक्कर।
पिता तुनकमिजाज होते गए
देवताओं के पास माँ की अर्ज़ी में बढ़ोतरी होती गई।
बुरी नज़र से बचाने और सलामती की ख़ातिर
आरती गाती हुई माँ की आवाज़ का
घण्टी की आवाज़ पर हावी होने से लेकर
घण्टी की आवाज़ का माँ की आवाज़ पर हावी होने तक
पिता हमारी ज़रूरत से खारिज़ होकर ज़िम्मेदारी बन गए।
माँ पूजाघर में ही विलुप्त हो गई एक दिन
और
पिता एक दिन अचानक घर आना भूल गए।
ज़रूरतें तुली हुई हैं कि
माँ जैसी चीज़ें विलुप्त हो जाए
और ज़िम्मेदारियाँ अमादा हैं कि
पिता जैसी चीज़ें घर का रास्ता भूल जाए।
21 जून 2020
समझौता
"समय सब ठीक कर देता है"
"समझौता करना सीखो"
समझौता- जीवन से, जीवन में, जीवन के लिए
पर समझौता का मतलब
उस जीवन को जीए बिना
हम में से बहुत लोग नहीं जान पाएँगे।
जिन लड़कियों ने बेपनाह प्यार
किसी और से 'किया' और अब
जिन्हें शादी के बाद बेपनाह प्यार
किसी और से 'करना पड़ रहा' है।
उन घर की बड़ी होती हुईं बेटियाँ
जानती हैं कि-
बर्तन ज़ोर से क्यों पटका जाता
किसी दिन सब्जी तीखी क्यों बनी
बारिश में भीगने की मनाही क्यों
कॉलेज से सीधा घर क्यों आना
किसी के सामने ज्यादा क्यों नहीं हँसना
हर वक़्त ओढ़नी को क्यों है ढ़ोना
छत पर केवल कपड़े लेने ही क्यों जाना
हवा के झोंके को क्यों नहीं महसूस करना
फिल्में कभी-कभार ही क्यों देखना
अपनी पसंद उजागर क्यों नहीं करना।
कुछ लड़कियों की किस्मत में
साफ-साफ लिखा होता है यूरोप घूमना
पर उन्हें कोल्हू के बैल के माफ़िक
पता होता है कि कहाँ-कहाँ घूमना है।
तेज़ धार का चाकू
रुका हुका हुआ पंखा
तालाब
सल्फास की गोली
तिनमंजिला छत
लापरवाही से चलती हुई बस,
समझौता करना नहीं जानती और ना ही कभी जान पाएगी।
"समझौता करना सीखो"
समझौता- जीवन से, जीवन में, जीवन के लिए
पर समझौता का मतलब
उस जीवन को जीए बिना
हम में से बहुत लोग नहीं जान पाएँगे।
जिन लड़कियों ने बेपनाह प्यार
किसी और से 'किया' और अब
जिन्हें शादी के बाद बेपनाह प्यार
किसी और से 'करना पड़ रहा' है।
उन घर की बड़ी होती हुईं बेटियाँ
जानती हैं कि-
बर्तन ज़ोर से क्यों पटका जाता
किसी दिन सब्जी तीखी क्यों बनी
बारिश में भीगने की मनाही क्यों
कॉलेज से सीधा घर क्यों आना
किसी के सामने ज्यादा क्यों नहीं हँसना
हर वक़्त ओढ़नी को क्यों है ढ़ोना
छत पर केवल कपड़े लेने ही क्यों जाना
हवा के झोंके को क्यों नहीं महसूस करना
फिल्में कभी-कभार ही क्यों देखना
अपनी पसंद उजागर क्यों नहीं करना।
कुछ लड़कियों की किस्मत में
साफ-साफ लिखा होता है यूरोप घूमना
पर उन्हें कोल्हू के बैल के माफ़िक
पता होता है कि कहाँ-कहाँ घूमना है।
तेज़ धार का चाकू
रुका हुका हुआ पंखा
तालाब
सल्फास की गोली
तिनमंजिला छत
लापरवाही से चलती हुई बस,
समझौता करना नहीं जानती और ना ही कभी जान पाएगी।
17 जून 2020
आदतन...
दुनिया जानती है-
मंटो पागल होने से मरा
मीरा कुमारी शराब की लत से
बटालवी भी शराब की लत से
प्रेमचंद पेट के रोग से
मुक्तिबोध लकवे से
संजीव कुमार हृदयाघात से
धूमिल ब्रेन ट्यूमर से
सफ़दर हाशमी नेता की रॉड से
गुरु दत्त नींद की गोली से
वैन गा ख़ुद की गोली से
चे ग्वेरा सत्ता की गोली से
कीट्स टीबी से
वर्जीनिया वुल्फ नदी में डूबने से
और
सुशांत फंदे से मरा।
गौरव सोलंकी【वही 'ग्यारहवीं A के लड़के' वाले】कहते हैं-
"कुछ लोग प्रेम न मिलने पर भी मर जाते थे, चाहे प्रेम सिर्फ़ एक झूठी अवधारणा ही हो। लेकिन डॉक्टर समझदार थे कभी किसी पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट में नहीं लिखा गया कि अमुक व्यक्ति प्यार की कमी से मर गया। यदि दुनिया भर की आज तक की सब पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट देखी जाएँ तो यही निष्कर्ष निकलेगा कि दुनिया में हमेशा प्यार बहुतायत में रहा। लोग सिर्फ़ कैंसर, पीलिया, हृदयाघात और प्लेग से मरे।"
'जानिए निराशा को दूर करने के उपाय'
'डिप्रेशन के 10 लक्षण'
'जीवन से ऊब चुके हैं तो ये वीडियो आपके लिए है'
'आप अकेले नहीं है, मैं हूँ, अभी कॉल कीजिए 109777 पर'
किसी पत्रिका के अगले अंक में ओशो, सद्गुरु, श्री श्री आपको आत्महत्या करने से बचाते हुए नज़र आयेंगे। फिर भी अख़बार का तीसरा पेज आरक्षित रहेगा आत्महत्या करने वालों के मनहूस ख़बरों से। जैसा हर बार होता है, होता रहेगा।
तोहमत, अटकलें, लफ्फाजियाँ, बयानबाजी, सपाट रवैया...आदतन।
मंटो पागल होने से मरा
मीरा कुमारी शराब की लत से
बटालवी भी शराब की लत से
प्रेमचंद पेट के रोग से
मुक्तिबोध लकवे से
संजीव कुमार हृदयाघात से
धूमिल ब्रेन ट्यूमर से
सफ़दर हाशमी नेता की रॉड से
गुरु दत्त नींद की गोली से
वैन गा ख़ुद की गोली से
चे ग्वेरा सत्ता की गोली से
कीट्स टीबी से
वर्जीनिया वुल्फ नदी में डूबने से
और
सुशांत फंदे से मरा।
गौरव सोलंकी【वही 'ग्यारहवीं A के लड़के' वाले】कहते हैं-
"कुछ लोग प्रेम न मिलने पर भी मर जाते थे, चाहे प्रेम सिर्फ़ एक झूठी अवधारणा ही हो। लेकिन डॉक्टर समझदार थे कभी किसी पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट में नहीं लिखा गया कि अमुक व्यक्ति प्यार की कमी से मर गया। यदि दुनिया भर की आज तक की सब पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट देखी जाएँ तो यही निष्कर्ष निकलेगा कि दुनिया में हमेशा प्यार बहुतायत में रहा। लोग सिर्फ़ कैंसर, पीलिया, हृदयाघात और प्लेग से मरे।"
'जानिए निराशा को दूर करने के उपाय'
'डिप्रेशन के 10 लक्षण'
'जीवन से ऊब चुके हैं तो ये वीडियो आपके लिए है'
'आप अकेले नहीं है, मैं हूँ, अभी कॉल कीजिए 109777 पर'
किसी पत्रिका के अगले अंक में ओशो, सद्गुरु, श्री श्री आपको आत्महत्या करने से बचाते हुए नज़र आयेंगे। फिर भी अख़बार का तीसरा पेज आरक्षित रहेगा आत्महत्या करने वालों के मनहूस ख़बरों से। जैसा हर बार होता है, होता रहेगा।
तोहमत, अटकलें, लफ्फाजियाँ, बयानबाजी, सपाट रवैया...आदतन।
15 जून 2020
मुमकिन है...
जिनका भी भरोसा
माँ-बाप पर से उठ गया हो।
वह कभी भी ईश्वर पर भरोसा नहीं कर सकता।
पहाड़ी झरने में मिलकर
बरसात का पानी ले जाता है जीवन।
बूढ़ा होना अचानक आएगा
जैसे आ जाती है अचानक छींक।
एक पागल कवि जानता है कि
लड़की बुखार में नहीं प्रेम में है।
शाम की तरफ़ जाते जीवन में
कठिन लगता सबकुछ
सुनसान रास्तों पर चलते हुए
मुस्कान की पैरवी करते दरख़्त
सच को झुठलाते हुए पश्चिम में डूबता सूरज।
उन गुनाहों की सज़ा क्या होगी ?
जो प्रेम में रहते हुए
पागल कवि और बुखार वाली लड़की
पूरी पृथ्वी को एक कर देते हैं।
पर जीवन में यादों को उगाना भी
कम मुश्किल काम नहीं
और
किसी को याद करके रो सकने की तो
बात ही दूसरी है।
मुमकिन है
बुखार वाली लड़की का हाथ
जब उसका पति थामे
तो उँगलियाँ पागल कवि की हो, मुमकिन है।
माँ-बाप पर से उठ गया हो।
वह कभी भी ईश्वर पर भरोसा नहीं कर सकता।
पहाड़ी झरने में मिलकर
बरसात का पानी ले जाता है जीवन।
बूढ़ा होना अचानक आएगा
जैसे आ जाती है अचानक छींक।
एक पागल कवि जानता है कि
लड़की बुखार में नहीं प्रेम में है।
शाम की तरफ़ जाते जीवन में
कठिन लगता सबकुछ
सुनसान रास्तों पर चलते हुए
मुस्कान की पैरवी करते दरख़्त
सच को झुठलाते हुए पश्चिम में डूबता सूरज।
उन गुनाहों की सज़ा क्या होगी ?
जो प्रेम में रहते हुए
पागल कवि और बुखार वाली लड़की
पूरी पृथ्वी को एक कर देते हैं।
पर जीवन में यादों को उगाना भी
कम मुश्किल काम नहीं
और
किसी को याद करके रो सकने की तो
बात ही दूसरी है।
मुमकिन है
बुखार वाली लड़की का हाथ
जब उसका पति थामे
तो उँगलियाँ पागल कवि की हो, मुमकिन है।
:)
9 जून 2020
चुप्पी तोड़ो और लिखो ख़त अब
लड़की चुप है
जैसे चुप हैं तारे वैसे ही
जैसे मोची के बेटे के सपने चुप हैं
और जैसे चुप है सारी मछलियाँ।
वो लड़की शुरू से ही नहीं थी लड़की
थोड़ी देर से बनी थी वो लड़की
जैसे उसका प्रेमी थोड़ा पहले ही बन गया था लड़का
जैसे प्रेम को महसूसते हुए कोई इंसान बन जाता है पिता
ठीक वैसे ही चुप है वो लड़की।
लड़की चुप है और उसकी चुप्पी
एक दिन रचेगी सभ्यता
एक दिन चाँद देर से पहुँचेगा अमावस की रात तक
एक दिन सूरज जल्दी डूबेगा
एक दिन दक्षिणी ध्रुव को एहसास होगा उत्तरी ध्रुव की ठंड
एक दिन पिता को एहसास होगा कि इस 'समाज' का क्या करूँ अब
लड़की चुप है और उसकी चुप्पी में 'एक दिन' है छिपा हुआ।
उस लड़की का
'लड़की' होने का रहस्य
उसके होने का रहस्य-
दूर देश के एक लड़के,
एक समंदर, एक चाँद को पता है।
लड़की ने एक बार कहा था-
जब देर रात देह में उठता है दर्द
तो उसकी आँखों और होठ का फासला कम हो जाता है।
वो लड़की चाहती क्या है ?
किस्से, कविताएँ, यक़ीनी बातें,
प्रेमी की उलझनें या प्रेमी की उड़ान!
धूप घड़ियाँ-सी होती हैं कुछ लड़कियाँ उनमें सुइयां नहीं होती,
और उनके गहरे रहस्य तक पहुँचने के लिए
कुछ लड़के रेतघड़ी के सहारे काट लेते हैं ज़िन्दगी।
जैसे चुप हैं तारे वैसे ही
जैसे मोची के बेटे के सपने चुप हैं
और जैसे चुप है सारी मछलियाँ।
वो लड़की शुरू से ही नहीं थी लड़की
थोड़ी देर से बनी थी वो लड़की
जैसे उसका प्रेमी थोड़ा पहले ही बन गया था लड़का
जैसे प्रेम को महसूसते हुए कोई इंसान बन जाता है पिता
ठीक वैसे ही चुप है वो लड़की।
लड़की चुप है और उसकी चुप्पी
एक दिन रचेगी सभ्यता
एक दिन चाँद देर से पहुँचेगा अमावस की रात तक
एक दिन सूरज जल्दी डूबेगा
एक दिन दक्षिणी ध्रुव को एहसास होगा उत्तरी ध्रुव की ठंड
एक दिन पिता को एहसास होगा कि इस 'समाज' का क्या करूँ अब
लड़की चुप है और उसकी चुप्पी में 'एक दिन' है छिपा हुआ।
उस लड़की का
'लड़की' होने का रहस्य
उसके होने का रहस्य-
दूर देश के एक लड़के,
एक समंदर, एक चाँद को पता है।
लड़की ने एक बार कहा था-
जब देर रात देह में उठता है दर्द
तो उसकी आँखों और होठ का फासला कम हो जाता है।
वो लड़की चाहती क्या है ?
किस्से, कविताएँ, यक़ीनी बातें,
प्रेमी की उलझनें या प्रेमी की उड़ान!
धूप घड़ियाँ-सी होती हैं कुछ लड़कियाँ उनमें सुइयां नहीं होती,
और उनके गहरे रहस्य तक पहुँचने के लिए
कुछ लड़के रेतघड़ी के सहारे काट लेते हैं ज़िन्दगी।
मन :)
7 जून 2020
संभावना कविता हो जाने की...
प्रेम
भरोसा
जिम्मेदारी
मजबूत हाथ
सहमा एक खरगोश
अँधेरी रात में जाती रेल
पत्ते पर अटकी बारिश की बूँद
अधखुली एक किताब पर रेंगती चींटी
सुकून से हाँफती कुत्ते से बच गयी बिल्ली
प्याले में ठहर गयी फीकी चाय की आख़िरी घूँट
बाँट देने के बाद भी रूठी साईकल पर बचा अख़बार
आख़िरी विदा में एक बार और हाथ थामने की ख़्वाहिश
एक कसक पिता से न कह सकने की 'बहुत प्यार है आपसे भी'
बिजली के तारों पर बैठी भीगे पंखों वाली कबूतरों की कतारें
त्यागे गए घर में मकड़-जाल से लिपटा एक बुझा लालटेन
नींद की आगोश में अधूरी छोड़ दी गई एक प्रेम कहानी
भटक गए राही के लिए नुक्कड़ पर पान की दुकान
नदी किनारे अरसे से लावारिस पड़ी एक नाव
बिन पते का लिखा गया एक गुमनामी ख़त
बिस्तर पर कईं रातों की बेचैन सिलवट
शांत सहरा में दो जोड़े पैरों के निशां
खिड़की पर उम्मीद की किरण
घर की चौखट पर दीया
दरवाजे पर सुकून
सुकूँ में दो दिल
दो दिल
दिल
दो
खिड़की पर उम्मीद की किरण
घर की चौखट पर दीया
दरवाजे पर सुकून
सुकूँ में दो दिल
दो दिल
दिल
दो
:)
सदस्यता लें
संदेश (Atom)