उस दिन आसमान पर धूसर रंग का कब्ज़ा नीले रंग से कुछ ज्यादा था बाकि दिन पहले जैसा ही। बस स्टॉप पर भीड़ थी,पर कोई भी कुर्सी पर बैठना नहीं चाहता था।
फिर एक लड़की आई और भीड़ को चीरते हुए एक कुर्सी पर खुद को कपड़ों के साथ समेटते हुए बैठ गई। वह घर से उस दिन जल्दी आ गई थी जो उसे बस के लिए भीड़ को देखते हुए इन्तजार करना था। जाने की बजाय लोग आते ही जा रहे थे,भीड़ का कुनबा धीरे-धीरे बढ़ता हुआ। तभी एक लड़का आया और भीड़ का हिस्सा बन गया।
लड़की उस हमउम्र लड़के को देखने लगी। लड़के ने भी लड़की को कुर्सियों के साथ अकेले बैठे हुए देखा,दोनों की नज़रे मिली। लड़की की आँखों ने मुस्कुराते हुए लड़के से जैसे कहा हो कि आइये मेरे करीब में बैठ जाइये। लड़का खुद को रोक नहीं पाया। अगले पल दोनों हँसते हुए बातें कर रहे थे। भीड़ उन्हें देखती और कुछ फुसफुसाते हुए अपनी मंजिल की तरफ बढ़ जाती। दोनों ने एक-दुसरे को जान समझ लिया। लड़की को लिखने का शौक था,उसने अपनीं कविता लड़के को पढाई,लड़के ने वाह-वाह किया साथ में लड़के के हाव-भाव ने भी वाह-वाह किया। लड़के को पढने का शौक था,उसने अपनी कुछ पसंदीदा किताबों के नाम लड़की को बताया और रिक्वेस्ट किया कि लड़की उन्हें पढ़े। दोनों खामोश हो गये,भीड़ का आना-जाना लगा रहा।
लड़के ने लम्बी सांस ली और हिचकिचाते हुए कहा "मुझे आपका कांटेक्ट नम्बर चाहिए" लड़की ने अचानक कहा "फिर से कहना" लड़का बोला "वही कहा जो आपने सुना" लड़की कहती है "हेल्लो मिस्टर ! बमुश्किल 15-20 मिनट के बरताव से तुमने ये नतीजा निकाल लिया कि अब हम दूर रहते हुए भी जुड़े रहे?आपके जैसे मुझे बहुत से लड़के मिलते हैं रोज तो इसका मतलब मैं सभी को अपना..." लड़का कहता है "ओके,सॉरी ! आपकी आँखों ने और मेरे नादां दिल की ये गुस्ताखी है फिर भी मैं माफ़ी मांग रहा हूँ,नम्बर मत दीजिये..अपना नाम तो बताइए?" लड़की कहती है है "शमा खातून,तुम्हारा क्या नाम हुआ?"
लड़का नाम बताने से पहले लड़की का नाम सुन के सुकून से मुस्कुराया फिर कहता है "जी,विजय नाम हुआ हमारा।माफ़ कीजियेगा,मेरा बस 15 मिनट पहले ही था। मैं बहक गया था।अब नंबर की कोई जरुरत नहीं"
लड़की खामोश बैठी रही।लड़का कुर्सी पर से उठ के भीड़ में जा खड़ा हो गया। भीड़ का हिस्सा बन गया। लड़की अब भी खामोश बैठी रही और गले को तर करने के लिए बैग से पानी के बोतल को बड़े जोर से पकड़ के पानी पीने लगी,गला तर भी न हुआ था कि पानी खत्म।लड़की खामोश बैठी रही,भीड़ ज्यों का त्यों पर लड़की खामोश बैठी रही।
- मन
फिर एक लड़की आई और भीड़ को चीरते हुए एक कुर्सी पर खुद को कपड़ों के साथ समेटते हुए बैठ गई। वह घर से उस दिन जल्दी आ गई थी जो उसे बस के लिए भीड़ को देखते हुए इन्तजार करना था। जाने की बजाय लोग आते ही जा रहे थे,भीड़ का कुनबा धीरे-धीरे बढ़ता हुआ। तभी एक लड़का आया और भीड़ का हिस्सा बन गया।
लड़की उस हमउम्र लड़के को देखने लगी। लड़के ने भी लड़की को कुर्सियों के साथ अकेले बैठे हुए देखा,दोनों की नज़रे मिली। लड़की की आँखों ने मुस्कुराते हुए लड़के से जैसे कहा हो कि आइये मेरे करीब में बैठ जाइये। लड़का खुद को रोक नहीं पाया। अगले पल दोनों हँसते हुए बातें कर रहे थे। भीड़ उन्हें देखती और कुछ फुसफुसाते हुए अपनी मंजिल की तरफ बढ़ जाती। दोनों ने एक-दुसरे को जान समझ लिया। लड़की को लिखने का शौक था,उसने अपनीं कविता लड़के को पढाई,लड़के ने वाह-वाह किया साथ में लड़के के हाव-भाव ने भी वाह-वाह किया। लड़के को पढने का शौक था,उसने अपनी कुछ पसंदीदा किताबों के नाम लड़की को बताया और रिक्वेस्ट किया कि लड़की उन्हें पढ़े। दोनों खामोश हो गये,भीड़ का आना-जाना लगा रहा।
लड़के ने लम्बी सांस ली और हिचकिचाते हुए कहा "मुझे आपका कांटेक्ट नम्बर चाहिए" लड़की ने अचानक कहा "फिर से कहना" लड़का बोला "वही कहा जो आपने सुना" लड़की कहती है "हेल्लो मिस्टर ! बमुश्किल 15-20 मिनट के बरताव से तुमने ये नतीजा निकाल लिया कि अब हम दूर रहते हुए भी जुड़े रहे?आपके जैसे मुझे बहुत से लड़के मिलते हैं रोज तो इसका मतलब मैं सभी को अपना..." लड़का कहता है "ओके,सॉरी ! आपकी आँखों ने और मेरे नादां दिल की ये गुस्ताखी है फिर भी मैं माफ़ी मांग रहा हूँ,नम्बर मत दीजिये..अपना नाम तो बताइए?" लड़की कहती है है "शमा खातून,तुम्हारा क्या नाम हुआ?"
लड़का नाम बताने से पहले लड़की का नाम सुन के सुकून से मुस्कुराया फिर कहता है "जी,विजय नाम हुआ हमारा।माफ़ कीजियेगा,मेरा बस 15 मिनट पहले ही था। मैं बहक गया था।अब नंबर की कोई जरुरत नहीं"
लड़की खामोश बैठी रही।लड़का कुर्सी पर से उठ के भीड़ में जा खड़ा हो गया। भीड़ का हिस्सा बन गया। लड़की अब भी खामोश बैठी रही और गले को तर करने के लिए बैग से पानी के बोतल को बड़े जोर से पकड़ के पानी पीने लगी,गला तर भी न हुआ था कि पानी खत्म।लड़की खामोश बैठी रही,भीड़ ज्यों का त्यों पर लड़की खामोश बैठी रही।
- मन