जहाँ खुद ही खुद से जिरह हो
जहाँ कुछ यकीन करने
और न करने के दरम्यान
खुद से मिलना न पड़े
जहाँ खुली आँखों के सामने
धुँधली दिखने लगे दुनिया
जहाँ कुछ खोने के डर से
बेतरतीब होते जाएँ सपने
जहाँ अपने करीबी के पास
वजह हो,दूर हो जाने का
जहाँ पसंद-नापसंद
मायने न रखते हो
जहाँ शिकवे-गिले रहने लगे
कुछ बेहतरी से ज्यादा
फिर वहाँ पर,
ज़िंदगी के रास्तों को
कुछ पल के लिए थामकर
दूसरों की नज़र से
खुद को टटोलना फिर
हम जो है,उसमें से
झूठ को बेदखल कर
सच को जगह देने के लिए
हर मुमकिन कोशिश करना
बेहद जरुरी है
क्योंकि,
कहीं न कहीं ज़िंदगी के हर मोड़ पर
हम भी और एक सुकून भरी ज़िंदगी भी,
हमसे यही तो चाहती है...
- "मन"