आपको पता है कि कछुआ अपने आस-पास कोई आहट पाते ही अपना आँख,नाक,कान,मुँह,पैर छुपा क्यूँ लेता हैं?? नहीं ना ...चलिए हम बताते हैं ...
बात पुराने जमाने की है | कछुआ और खरगोश ने दौड़ की प्रतियोगिता रखी (पहले के जमाने मे कुछ भी हो सकता था) | और शर्त यह रखा गया कि जितने वाला हारने वाले की आँख,नाक,मुँह,पैर काट लेगा | कछुआ यह सोचकर तैयार हो गया कि कहानियों के मुताबिक खरगोश सो जाएगा और जीत उसकी होगी | दोनो सहमत हुए | दौड़ने लगे...
पर आज की सीख भरी कहानियाँ जिसमें कि खरगोश घमंड
करता है ,थोड़ा आराम करने के लिए पेड़ के नीचे सो जाता है,और
कछुआ इसका फायदा उठाकर दौड़ जीत लेता है, इसके बिल्कुल उलट इस दौड़ में जीत खरगोश की हुई और हार कछुए की | जहाँ बात नाक-कान कटने की थी भला वहाँ खरगोश सो कैसे जाता, आखिर सवाल पूरे खरगोश बिरादरी की आन की थी | और ऐसे भी हम जानते हैं कि खरगोश तेज भागता है, ना कि कछुआ | कछुआ तो बस सीख भरी कहानियों के चक्कर मे आके बेचारा फँस गया | शर्त के मुताबिक हारने वाले की आँख,नाक,मुँह ,पैर कटना था , पर कछुआ निकला धूर्त ,एन टाइम पर दगा
दे गया और डर के मारे अपने आँख,नाक,मुँह,पैर आदि को
अपनी खोली मे छुपा लिया |
तब से लेकर आज तक (और आगे तक भी) जब भी कछुए को किसी आहट का आभास होता है,वह खरगोश समझकर अपने-आप को छुपाकर बचाव करता रहा है |
बात पुराने जमाने की है | कछुआ और खरगोश ने दौड़ की प्रतियोगिता रखी (पहले के जमाने मे कुछ भी हो सकता था) | और शर्त यह रखा गया कि जितने वाला हारने वाले की आँख,नाक,मुँह,पैर काट लेगा | कछुआ यह सोचकर तैयार हो गया कि कहानियों के मुताबिक खरगोश सो जाएगा और जीत उसकी होगी | दोनो सहमत हुए | दौड़ने लगे...
पर आज की सीख भरी कहानियाँ जिसमें कि खरगोश घमंड
करता है ,थोड़ा आराम करने के लिए पेड़ के नीचे सो जाता है,और
कछुआ इसका फायदा उठाकर दौड़ जीत लेता है, इसके बिल्कुल उलट इस दौड़ में जीत खरगोश की हुई और हार कछुए की | जहाँ बात नाक-कान कटने की थी भला वहाँ खरगोश सो कैसे जाता, आखिर सवाल पूरे खरगोश बिरादरी की आन की थी | और ऐसे भी हम जानते हैं कि खरगोश तेज भागता है, ना कि कछुआ | कछुआ तो बस सीख भरी कहानियों के चक्कर मे आके बेचारा फँस गया | शर्त के मुताबिक हारने वाले की आँख,नाक,मुँह ,पैर कटना था , पर कछुआ निकला धूर्त ,एन टाइम पर दगा
दे गया और डर के मारे अपने आँख,नाक,मुँह,पैर आदि को
अपनी खोली मे छुपा लिया |
तब से लेकर आज तक (और आगे तक भी) जब भी कछुए को किसी आहट का आभास होता है,वह खरगोश समझकर अपने-आप को छुपाकर बचाव करता रहा है |
Aap kah rahe hai to likh deta hu. . . .
जवाब देंहटाएं.
Yaar kasamse kya kahani likhi hai. . . . . Jabardast. . . . Kabhi hamare yaha bhi tasrif layiye. . . . Http://www.facebook.com/extraordinaryquotes/
Lajawab
जवाब देंहटाएं