वे फिर से चले गए...उसी के पास...जहाँ सबसे पहले उन्होंने ही अपनी
उपस्थिति दर्ज करवायी थी...
चाँद पर पहला कदम रखने वाले नील आर्मस्ट्रांग,इस दुनिया को अलविदा कह गए | एक अमेरिकी नौसेना के पायलट,जो बाद में अपनी मेहनत के बल-बूते से नासा के अभियान से जुड़े और वह गौरव हासिल किया जिसके कारण आज पूरी दुनिया उनको याद कर रही है, भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित कर रही हैं |
हाल ही में उन्होंने 5 अगस्त को अपना 82वाँ जन्मदिन मनाया था और कुछ दिन पहले ही उनकी बाईपास सर्जरी हुई थी |
इनका पहला मिशन 1966 में जेमिनी-8 नामक अंतरिक्षयान से शुरू हुआ था और दूसरा मिशन था 1969 में अपोलो-11,जिसके द्वारा वे और उनके दो वैज्ञानिक साथी (एडलिन एल्ड्रिन और माइकल कॉलिंस ) के साथ सर्वप्रथम 20 जुलाई 1969 को चाँद की सैर की थी पर चाँद की सतह पर पहला कदम रखने का गौरव मिला था नील आर्मस्ट्रांग को | वे उस समय 38 साल के थे |तीन घंटे चाँद पर चहलकदमी के बाद उन्होंने रेडियो के जरिए ,यह संदेश पृथ्वी पर भेजा था कि "यह मनुष्य के लिए छोटा सा कदम है लेकिन मानवता के लिए बहुत बड़ा कदम है "
अपने दल के दूसरे साथियोँ सहित उन्हें अमेरीका का सर्वोच्च नागरिक
सम्मान "काँग्रेशनल मेडल" से भी नवाजा जा चूका हैं |
उनके परिवार ने एक बयान में कहा है कि "हमें एक बहुत अच्छे
इंसान के निधन पर दुःख है लेकिन हमें उनकी शानदार जिंदगी पर
गर्व है और आशा है कि यह दुनियाभर के युवाओं में मेहनत करके
अपने सपने साकार करने के लिए उदाहरण साबित होगा"
सबसे पहले गए थे चाँद पर...
कल फिर चल दिए उसी तरफ...
हमारी यादों में रह गए...
धरती को सूना कर.......!!!
वे बस हमारी यादों में रह जाएँगे,पर जब-जब हमारी नज़रे चाँदनी रातों को चाँद पर पड़ेगी ...मन का कोई कोना बस उनके लिए ही सोचेगा और कोशिश करेगा कि चाँद के दाग में कहीं उनका पद्चिन्ह दिख जाए |
और हमसब यह वादा करते हैं कि जब भी हम चाँद की तरफ देखेंगे,हमारी पलकें कुछ पल के लिए उनकी याद में झुक जाएँगी |
उपस्थिति दर्ज करवायी थी...
नील आर्मस्ट्रांग |
हाल ही में उन्होंने 5 अगस्त को अपना 82वाँ जन्मदिन मनाया था और कुछ दिन पहले ही उनकी बाईपास सर्जरी हुई थी |
चाँद की सतह पर |
इनका पहला मिशन 1966 में जेमिनी-8 नामक अंतरिक्षयान से शुरू हुआ था और दूसरा मिशन था 1969 में अपोलो-11,जिसके द्वारा वे और उनके दो वैज्ञानिक साथी (एडलिन एल्ड्रिन और माइकल कॉलिंस ) के साथ सर्वप्रथम 20 जुलाई 1969 को चाँद की सैर की थी पर चाँद की सतह पर पहला कदम रखने का गौरव मिला था नील आर्मस्ट्रांग को | वे उस समय 38 साल के थे |तीन घंटे चाँद पर चहलकदमी के बाद उन्होंने रेडियो के जरिए ,यह संदेश पृथ्वी पर भेजा था कि "यह मनुष्य के लिए छोटा सा कदम है लेकिन मानवता के लिए बहुत बड़ा कदम है "
सम्मान "काँग्रेशनल मेडल" से भी नवाजा जा चूका हैं |
चाँद पर उनका पद्चिन्ह |
उनके परिवार ने एक बयान में कहा है कि "हमें एक बहुत अच्छे
इंसान के निधन पर दुःख है लेकिन हमें उनकी शानदार जिंदगी पर
गर्व है और आशा है कि यह दुनियाभर के युवाओं में मेहनत करके
अपने सपने साकार करने के लिए उदाहरण साबित होगा"
सबसे पहले गए थे चाँद पर...
कल फिर चल दिए उसी तरफ...
हमारी यादों में रह गए...
धरती को सूना कर.......!!!
हाल ही की तस्वीर |
वे बस हमारी यादों में रह जाएँगे,पर जब-जब हमारी नज़रे चाँदनी रातों को चाँद पर पड़ेगी ...मन का कोई कोना बस उनके लिए ही सोचेगा और कोशिश करेगा कि चाँद के दाग में कहीं उनका पद्चिन्ह दिख जाए |
और हमसब यह वादा करते हैं कि जब भी हम चाँद की तरफ देखेंगे,हमारी पलकें कुछ पल के लिए उनकी याद में झुक जाएँगी |
उनकी याद में |
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जवाब देंहटाएंIs mahan waigyanik shakhsiyat ko naman......
जवाब देंहटाएंJab bhi antariksh wigyan ki baat hogi Neil ka nam jarur liya jayega...
आप बहुत खुबसूरत दिल और दिमाग के मालिक हो .और आपकी सोच सकारात्मक है .शुभकामनाओं सहित मैं आपको अपने रीडिंग लिस्ट में रख रहा हूँ .मेरा मूल ब्लॉग जरुरत है .ज़रूरत अकलतरा .ब्लॉग स्पोट .इन
जवाब देंहटाएंहीरो हमेशा हीरो ही रहता है..
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर प्रस्तुति...
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