पता नहीं कौन सी ऊँगली थामे,
मुझे चलना सिखाया होगा,माँ..!
अब हर ऊँगली को देखता हूँ तो
बेहिसाब...
याद आती है,माँ..!
तुम्हारे मुस्कुराहट के सहारे आज
हर कोशिश है खुश रहने की
तुम्हारे गोद,तुम्हारे आँचल में आने की
पर जितना कि तुमसे दूर हूँ
उतना ही पास चला आता हूँ,माँ..!
आज हर साँस के साथ,
बेहिसाब...
याद आती है,माँ..!
तुम्हारे सपनों की फ़िकर ना होती तो
आज तुमसे यूँ दूर ना होता,
लोरी के बिना यूँ रात ना कटती,
डांट के बिना यूँ दिन ना गुजरता,
फिजाएं यूँ खामोश ना होती,
इस तरह से बेसहारा ना होता,
चेहरे पर यूँ तुम्हारा महसूस ना झलकता,
और यूँ ही तुम्हारी याद ना आती,माँ..!
आज जीने से भी ज्यादा,कई उलझनें हैं,
हर उलझन के दर पर
बेहिसाब...
याद आती है,माँ..!
वह माँ,जिसके बिना...
मेरी जिंदगी का हर एक दिन अधूरा है,
उस माँ को सलाम...!
- "मन"
मुझे चलना सिखाया होगा,माँ..!
अब हर ऊँगली को देखता हूँ तो
बेहिसाब...
याद आती है,माँ..!
तुम्हारे मुस्कुराहट के सहारे आज
हर कोशिश है खुश रहने की
तुम्हारे गोद,तुम्हारे आँचल में आने की
पर जितना कि तुमसे दूर हूँ
उतना ही पास चला आता हूँ,माँ..!
आज हर साँस के साथ,
बेहिसाब...
याद आती है,माँ..!
तुम्हारे सपनों की फ़िकर ना होती तो
आज तुमसे यूँ दूर ना होता,
लोरी के बिना यूँ रात ना कटती,
डांट के बिना यूँ दिन ना गुजरता,
फिजाएं यूँ खामोश ना होती,
इस तरह से बेसहारा ना होता,
चेहरे पर यूँ तुम्हारा महसूस ना झलकता,
और यूँ ही तुम्हारी याद ना आती,माँ..!
आज जीने से भी ज्यादा,कई उलझनें हैं,
हर उलझन के दर पर
बेहिसाब...
याद आती है,माँ..!
वह माँ,जिसके बिना...
मेरी जिंदगी का हर एक दिन अधूरा है,
उस माँ को सलाम...!
- "मन"
बहुत प्यारी कविता लिखी है माँ के लिए...
जवाब देंहटाएंथोड़ी भावुक हो गई हूँ...बहुत सुंदर !!
Yah tilismi rachna hai, jitni komal hoti hai, utni hi mazboot!
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया
जवाब देंहटाएंसच माँ का प्यार - दुलार , डाँट - डपट की कितनी कीमती होती है इन सबका का अहसास तभी होता है जब हम माँ से दूर होते हैं हर मुसीबत वक्त में सिर्फ वो ही हमें आगे बदने की हिम्मत देती है और उस अहसास को तुमने बहुत खूबसूरती से व्यक्त किया बहुत २ बधाई |
जवाब देंहटाएंवाह...मैंगो मैन साहब
जवाब देंहटाएंमान गए आपको...
लाजवाब बढ़िया
गहरे जज्बात रख दिये हैं खोल के
जवाब देंहटाएंखूबसूरत शब्द भाव
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर और प्यारी ममतामयी प्रस्तुति...
जवाब देंहटाएं:-)
सबसे पहले तो "मन" को बधाई....ये शब्द न्याय करता है तुम्हारी रचनाओं के साथ.
जवाब देंहटाएंऔर आज तुम्हारी रचना ने पलकों के कोर गीले कर दिए....
सुन्दर अभिव्यक्ति.
सस्नेह
अनु
माँएं कभी दूर कहाँ होती हैं हमसे...
जवाब देंहटाएंहम उनका एक हिस्सा ही तो हैं...
हम जहाँ हैं वहाँ वो हैं...
पर फिर भी कभी-कभी मन भावुक तो हो ही जाता है...
घर से दूर हूँ इसलिए आपके दर्द को समझ सकता हूँ...
जी सही कहा...और जब घर से दूर हों तो इस बंधन के प्यार में और मजबूती आ जाती है |
हटाएंbhawukta bhari......kuchh khoyee si rachnaa
जवाब देंहटाएंEhsaas...
सच में माँ तो माँ ही होती है..... अच्छी कविता
जवाब देंहटाएंthe most beautiful creation of God is mother.
जवाब देंहटाएंमाँ पे आज तक जो कुछ भी लिखा गया है .. सब कुछ कम ही लगता है ... उसकी हस्ती इनसब से कहीं आगे है ...
जवाब देंहटाएंसुन्दर रचना है माँ को समर्पित ...
बेहतरीन भाव खूबसूरत, भावुक कर दिया दोस्त.
जवाब देंहटाएंशब्द कम पड़ जायेंगे, कलम थक जायेगी, माँ की गाथा न कोई लिख पाया है न लिख पायेगा.
माँ तो माँ होती है,
सब की जाँ होती है.....
आपसे पूर्ण सहमत हूँ....माँ के बारे में जितना लिखा जाए उतना कम |
हटाएंमाँ तो ह्रदय का स्पंदन है.. भावुक, सुन्दर कविता.
जवाब देंहटाएंHridaysparshi.....
जवाब देंहटाएंमाँ तुझे सलाम ....
जवाब देंहटाएंसुंदर भाव लाजवाब रचना
जवाब देंहटाएंनिशब्द ,
जवाब देंहटाएंघर से दूर हूँ ,
इसीलिए आपकी कविता को पढ़ नहीं महसूस कर रहा था |
बहुत खूब |
आपकी रचना ने मर्म को छु लिया ,जितना कहा जाए उतना कम लगेगा
जवाब देंहटाएंमाँ की गहराई को समझने वाले बहुत कम माँ तो माँ है बहुत सही है लाइक
जवाब देंहटाएं