आज ऐसे ही कुछ ढूंढते-ढूंढते मेरे एक पुराने फाइल में कुछ मिला,जिसमें कुछ फोटो,कुछ पहले के लेटर,कुछ खट्ठी-मीठी यादें,जिन्हें रखकर शायद मैं भूल गया था या आज में कुछ ऐसा नही हुआ जिनसे कि मैं उन यादों को फिर से याद कर सकूँ,(या शायद मेरा आज उन्हें फिर से स्वीकार नही करना चाहता हों) |
उनमें से कुछ यादें मुड़ गई थी,कुछ धुंधली पड़ गई थी तो कुछ बस फाइल का वजन बढ़ा रहीं थी और कितनी तो ऐसी थी जो अपनी तरफ देखने भी नही दे रही थी |
आज उन यादों को फिर से जीने का मौका मिला,कुछ अच्छी मिलीं जिनकी वजह से मुस्कुराया तो कुछ बुरी जो फिर से एक सबक का रूप लेकर आज में खड़ी हो गई शायद मेरे कल के बचाव के लिए |(पर दोनों हीं काम की है)
बहुत दिन से पड़े-पड़े उन यादों ने अपने-आप को अकेला महसूस कर,नमी को सोख उन्हें अपना बना लिया था सो मैंने उन्हें हटाकर अपने तकिये के नीचे रख दिया |फिर वहीँ पर कुछ सोचते-सोचते खो गया |कुछ देर बाद देखता हूँ कि तकिया गीला पड़ा है |अब ये आंसू थे जिन्हें आँखों में पनाह ना मिलीं या शायद उन यादों की नमी,कुछ कह नही सकते...:(
वक्त के साथ सबको तेजी से या धीरे-धीरे एक ना एक दिन बदल ही जाना है पर कुछ चीझें हैं ऐसी जिनपर वक्त का कोई जोर नही चलता और उनमें से एक है "यादें" |
- "मन"
उनमें से कुछ यादें मुड़ गई थी,कुछ धुंधली पड़ गई थी तो कुछ बस फाइल का वजन बढ़ा रहीं थी और कितनी तो ऐसी थी जो अपनी तरफ देखने भी नही दे रही थी |
आज उन यादों को फिर से जीने का मौका मिला,कुछ अच्छी मिलीं जिनकी वजह से मुस्कुराया तो कुछ बुरी जो फिर से एक सबक का रूप लेकर आज में खड़ी हो गई शायद मेरे कल के बचाव के लिए |(पर दोनों हीं काम की है)
बहुत दिन से पड़े-पड़े उन यादों ने अपने-आप को अकेला महसूस कर,नमी को सोख उन्हें अपना बना लिया था सो मैंने उन्हें हटाकर अपने तकिये के नीचे रख दिया |फिर वहीँ पर कुछ सोचते-सोचते खो गया |कुछ देर बाद देखता हूँ कि तकिया गीला पड़ा है |अब ये आंसू थे जिन्हें आँखों में पनाह ना मिलीं या शायद उन यादों की नमी,कुछ कह नही सकते...:(
वक्त के साथ सबको तेजी से या धीरे-धीरे एक ना एक दिन बदल ही जाना है पर कुछ चीझें हैं ऐसी जिनपर वक्त का कोई जोर नही चलता और उनमें से एक है "यादें" |
- "मन"
सही बात है यादों पर किसी का जोर नहीं चलता..
जवाब देंहटाएंवक्त - बेवक्त आती है..
रुलाती है हँसाती है
कुछ भुलाने को कहती है तो..
बहुत कुछ याद दिलाती है..
ये यादे भी ना,,
वक्त - बेवक्त आती है..
:-)
सही में...ये यादे भी ना,,वक्त - बेवक्त आती है..
हटाएंआभार |
Kai baar yaaden aankhon se khaare aansuon ko nikaal lati hain, aur vahan ek ummeedon ki chamak rakh aati hain!
जवाब देंहटाएंयादों पे किसी बस नहीं होता ...
जवाब देंहटाएंये आती हैं ... रुलाती हैं ... वक्त बेवक्त आती हैं ...
बहुत सुन्दर.....
जवाब देंहटाएंयादें 'मन' का कहा भी कहाँ सुनती हैं.....
अनु
धन्यवाद भईया|
जवाब देंहटाएंयादें कहाँ पीछा छोडती हैं उम्र भर..
जवाब देंहटाएंये यादे यादे यादे यादे भी ना,,
जवाब देंहटाएंवक्त - बेवक्त आती है..