मै कौन हूँ???
यह एक ऐसा अटल सवाल है,जिसका जवाब पल-पल बदलता है और हमें सोचने पर मजबूर करता है |जिंदगी के हर सफर पर...हर मोड़ पर यह ओट बनकर जवाब माँगता है जो अब-तक के जवाबों से शायद संतुष्ट नही |
हम देखते हैं कि कभी-कभी किसी बात के अंत में यही जिंदगी हमसे कुछ दूर पर खड़ी होकर,हमारी नादानी पर मुस्कुरा रहीं होती है,जिससे इस सच का पता चलता है कि हमने आज-तक इस सवाल के जवाब देने में कहीं ना कहीं झूठ का सहारा लिया है | जिंदगी सही मायने में आगे बढ़े तो इसके लिए सच्चाई को आगे आना ही पड़ेगा और इसका फैसला हमारे हाथों में है |
हम खुद के नज़रिए में अपने-आप को काबिल मानकर मन को तसल्ली दिला सकते हैं पर जिंदगी केवल अपने खुद से नही चलती,इससे जुड़े हैं कई और जिनकी नज़र में हमारे वजूद का एहसास काफी हद तक मायने रखता है...यहीं जीवन का सच है...थोड़ा अजीब है पर सच है |
मेरे जिंदगी से भी जुड़े है कई ऐसे शख्स जिनकों,मुझसे उम्मीद है...शायद मै नही जानता कि वे मेरे बारे में क्या नज़रिया रखते हैं पर इतना जानता हूँ कि मेरी जिंदगी में सच्चे मन से इनका होना...सबकुछ बयां कर देता है(शायद)...
मै कौन हूँ ???
मै हूँ...
उस पिता का बेटा..." जो यह सोचकर आश लगाए बैठा है कि जो सपने मै नहीं देख सका वो अपने बेटे को हर नामुमकिन कोशिश करके जरुर दिखाऊँगा...जो कसक अधूरी रह गई वो बेटे के सहारे पूरा करूँगा "
मै हूँ...
उस माँ का बेटा..." जो दरवाजे पर बाट जोहे खड़ी रहती है...अपने सच्चे बेटे के इंतजार में जो दुनिया के नज़र में कैसा भी हों...जो जी भर के देखना चाहती है...जो फिर से गले लगाना चाहती है...चूमना चाहती है...फिर से दुलारना चाहती है "
मै हूँ...
उस बहन का भाई..."जो मजबूरन वो ना कर सकीं,मुझसे चाहती है...जिसके आँखों तले एक कामयाब भाई का
सपना पल रहा है...जिसको इंतजार है एक मजबूत कलाई पर राखी बाँधने को "
मै हूँ...
उस भाई का भाई..."जिसको विश्वास है मुझपर...हर एक फैसले पर...जो उन्हीं राहों को पीछा करता हुआ चला
आ रहा है,जहाँ मेरे कदमों के निशान मौजूद है "
मै हूँ...
उस दोस्त का दोस्त..."जिसने हर हालात में..हर पल..हर दम..मुझे जिंदगी को जीना सिखाया...जो आज मेरे पास नही पर दिल के बहुत करीब है "
मै हूँ...
किसी पराए के लिए अपना..." जो अनजान..बेखबर है...जिसको किसी अपने की तलाश है,इस छोटी सी दुनिया में "
मै हूँ...
एक आम आदमी जैसा दिखने वाला प्राणी...जो जिंदगी के हर पहलू को स्वीकारता आया है...जो जिंदगी के हर रंग को जीना चाहता है...जो इस बात में विश्वास रखता है कि दूसरों की खुशी में ही अपनी खुशी है...जिसने सिखा है हर एक को अहमियत देना...जिसको कुछ पाने की ललक है और खोना भी बखूबी जानता है "
मै तो इतना सा जानता हूँ कि जब कोई किसी से उम्मीद रखता है,तो सामने वाले को भी चाहिए कि वह उसके उम्मीदों पर खरा उतरे...क्यूंकि अगर उम्मीद पूरी ना हों तो बहुत दुःख होता है |
- "मन"
जवाब देंहटाएंसार्थक और सामयिक पोस्ट, आभार.
आभार |
हटाएंMantu,kahin tum apne kairiyar me chune lakshya se vichlit to nahin ho rahe ho?
जवाब देंहटाएंनही...नही..अगर विचलित ही हों जाए तो वह लक्ष्य ही क्या |
हटाएंबहुत सुन्दर....
जवाब देंहटाएंअच्छे विचार....सुन्दर भावना...
अनु
आभार |
हटाएंमंटू जी,,आपकी बातों से सहमत हूँ,,,मेरे भी यही विचार है,,,,
जवाब देंहटाएंजब कोई किसी से उम्मीद रखता है,तो सामने वाले को भी चाहिए कि वह उसके उम्मीदों पर खरा उतरे...क्यूंकि अगर उम्मीद पूरी ना हों तो बहुत दुःख होता है |
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दूसरों के सपनों को पूरा करते करते ही सारा जीवन बीत जाता है
जवाब देंहटाएंफिर भी किसी की उम्मीदों पर कमसे कम मै तो खरी कभी नहीं उतरी
इसके पहले की लोग उम्मीदे लगाते जाये, सोचिये आपके जीवन से आपकी क्या उम्मीद है
आपके क्या सपने है ?
शायद....दूसरों के सपनों को पूरा करना ही उम्मीदों पर खरा उतरना होता है..पूरा ना सही पर कम से कम कोशिश तो किया ही जा सकता है |
हटाएंbahut sundar mango man sahab...
जवाब देंहटाएंmijaj me likhte rahiye...
:)
हटाएंलक्ष्य की और बढ़ते चलें मंटू जी ,और लिखते रहिये --शुभ-कामनाएं
जवाब देंहटाएंसामने वाला क्या करे-इस पर तो आपका जोर नहिं..किन्तु आप खरा उतरेंगे तो एक उम्मीद की जा सकती है कि सामने वाला भी शायद!!
जवाब देंहटाएंजी बहुत ही सटीक कहा आपने...जैसा हमारा रवैया होगा ठीक वैसे ही सामने वाला हमारी उम्मीदों को पूरा करेगा|
हटाएंआभार |
मैं कौन हूँ पर सुन्दर आलेख हम मन में उठने वाला एक कौतुहल सा सवाल वाकई आप की लेखनी ने बड़े खुबसूरत अंदाज़ में उकेरा है मैं कौन हूँ की अनुभूति को !!!
जवाब देंहटाएंमन के कोने से खुद को दी गयी पहचान .... बहुत अच्छी लगी
जवाब देंहटाएंदिल के तारों को छेड़ दिया आज फिर से किसी ने क्या लिखा है सुभानल्लाह
जवाब देंहटाएंदिल के तारों को छेड़ दिया आज फिर से किसी ने क्या लिखा है सुभानल्लाह
जवाब देंहटाएंBilkul sahi Kaha mantu Ji .., han pr ummeed pe khare utarne k liye ummeed bhi khari honi chahiye..unpe majboori , dikhave ya lalach .svarth...aadi ki milavat nho our yadi khari ummeed karne vala aap ke pass koi bhi rishta ho to ..Sach uski ummmdo ko poora karane me hi aap ke jeevan ke Mayne mil jate....hmm agr umeed khari na ho our ummeedo ko poora krte krte.. jivan Sach me hame us mod pr khade kr deta h ki jab hame ek nihsvarth umeed milti h our ham kuch nhi krpate Siva pchtave k ..tab Sach me jivan ham pe thahake mar mar hasti h..
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