तेरे साथ...लम्बे रास्तों की फ़िकर ना थी...पर अब छोटे रास्ते...बड़े लम्बे से लगते हैं...और उन रास्तों पर...सूना पसरा है...तेरे बिना वो दोस्त..!
तेरे होने से...हर वो खुशी मिलीं...जो आज में...मेरे हर एक मुस्कुराहट की वजह है...मस्ती के हर रंग में वो चमक मिलीं...जो यक़ीनन फीकी और बेमतलब रह जाती...तेरे बिना वो दोस्त..!
वो एक-दूसरे का काम करना...कभी घर से निकलकर स्कूल ना पहुँचना...हमेशा स्कूल लेट जाना...साथ में बेंत खाना...और क्लास के बीच में ही टिफ़िन खत्म करना...कभी पापा से डाँट सुनवाना....मेरा रूठना...फिर तेरा मनाने का वो अजीबोगरीब तरीका अपनाना...वो मस्ती-मजाक...सब याद है...पर अब वो यादें हैं...तेरे बिना वो दोस्त..!
आज हर कदम पर...हर सफर पर सोचता हूँ कि...तू होता तो ये करते...तू होता तो वो करते...लेकिन बस सोचता ही हूँ...और...एक कसक के साथ मुस्कुराहट झलक रहीं होती है चेहरे पर...तेरे बिना वो दोस्त..!
पहले हर खुराफ़ाती में अपना नाम आता था...हर वो काम करना जरुरी था...जिसमें केवल हमारी खुशी हों...आज आलम ये है कि...खुराफ़ाती का मतलब ही कहीं गुम है...तेरे बिना वो दोस्त..!
पहले दिन भर...धूप में क्रिकेट खेलते थे...साइकिल से रेस लगाते थे...घर से बहुत दूर निकल जाते थे...पर अब धूप से कोई वास्ता ना रहा...कहीं पर साइकिल देखता हूँ तो...जी ललचता है...घर से अब भी दूर हूँ पर...कुछ खोया-खोया सा लगता है...तेरे बिना वो दोस्त..!
तू बहुत याद आता है...जब अकेले में हँस रहा होता हूँ...जब अकेले में रो रहा होता हूँ...जब अकेले कहीं जा रहा होता हूँ...जब अकेले कुछ खा रहा होता हूँ...जब अकेले पढ़ रहा होता हूँ...जब कुछ भी नही कर रहा होता हूँ...अब तू ना सही पर तेरा एहसास तो है...तेरे बिना वो दोस्त..!
यह चेहरा जो कभी हँसता था...आज इसको भी उदास होने की जरुरत पड़ती है...तेरे बिना वो दोस्त..!
तेरे साथ खुशी का हर पल था...गम का साया कहीं दूर-दूर तक नहीं...आज खुशी के पल गिन लेते हैं...और...गम ने दिया है साथ हर घड़ी...तेरे बिना वो दोस्त..!
अब सोचता हूँ कि...काश !...वो खुशी भरे दिन...हम साथ ना बिताते तो...आज यूँ...मन को तड़पना ना पड़ता...बिन आंसू के रोना ना पड़ता...तेरे बिना वो दोस्त..!
आज बेशक तेरे साथ नही...पर महसूस करता हूँ रोज तुझे...और नज़र उसी राह पर आश लगाए,इस ताक में है कि एक दिन तू आकर...मेरा हाथ थाम लेगा...क्यूंकि...मै कुछ भी नहीं...तेरे बिना वो दोस्त..!
- "मन"
आपकी यह बेहतरीन रचना बुधवार 26/09/2012 को http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर लिंक की जाएगी. कृपया अवलोकन करे एवं आपके सुझावों को अंकित करें, लिंक में आपका स्वागत है . धन्यवाद!
जवाब देंहटाएंबहुत-बहुत आभार दीदी...|
हटाएंपुराने दोस्तों की याद आते ही आखें नम हो जाती है । बहुत ही सुन्दर ।----
जवाब देंहटाएंमन्टू जी "विक्रम" ब्लॉग पर आगमन एवं समर्थन के लिये आभार । स्वागत है ।
आप इधर की तरफ रुख किये उसके लिए शुक्रिया..आगे भी करते रहेंगे ऐसी उम्मीद है |
हटाएंसादर |
बहुत सुंदर पोस्ट ...दोस्ती का रिश्ता होता ही ऐसा है....
जवाब देंहटाएंRachnaa achchhi hai, lekin tumse udaasi nahin ullas failaane ki ummeed hai.Dost aur Dosti duniya ke har kaune me hain, dhoondho!
जवाब देंहटाएंजी...दोस्त तो बहुत मिलते है पर दोस्ती के लायक शायद बहुत ही कम,जिनके लिए ऐसी रचना लिखी जाए |
हटाएंसच्चा दोस्त कहाँ भूल पाते हैं...बहुत सुन्दर पोस्ट...
जवाब देंहटाएंdoor bichhudne par achhe dost yun hi baar baar yaad aate hain ..
जवाब देंहटाएंbahut sundar dosti mein dubi prastuti..
वाह भई मंटू जी
जवाब देंहटाएंdosti ka naam jindgi... jindgi ka naam dosti.....
जवाब देंहटाएंbahut hi sundar..
जी सही कहा आपने,,,अगर एक सच्चे दोस्त का साथ जिंदगी में हो तो,जिंदगी जैसी पहेली बहुत हद तक सुलझ जाती है |
हटाएंbadhiya ...man ki jaise kavita...
जवाब देंहटाएंदोस्त मोती की तरह चमकते हैं जीवन में .. उनकी याद कभी नहीं जाती ...
जवाब देंहटाएंखूबसूरत शब्द ...
बहुत सुन्दर प्रस्तुति !
जवाब देंहटाएंसच में, दोस्ती अपने आप में एक एहसास है ज़िन्दगी का..
जवाब देंहटाएं++++++++++++++++++++++++++++
आत्मसमर्पण
दोस्ती के बिना जिंदगी एक अधूरी कहानी है |
हटाएंसार्थक सृजन, आभार.
जवाब देंहटाएंकृपया मेरे ब्लॉग पर भी पधारने का कष्ट करें.
हर बार की तरह शानदार प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंRecent Post…..नकाब
आपका प्रोत्साहन जिम्मेदार है इसके लिए...:)
हटाएंआभार |
उम्दा पंक्तियाँ ..
जवाब देंहटाएंभाषा सरल,सहज यह कविता,
भावाव्यक्ति है अति सुन्दर।
बहुत सुन्दर
जवाब देंहटाएंदोस्ती का रिश्ता ऐसा ही होता है
ग़र सच्चा और अच्छा दोस्त मिल जाये तो...
:-)
जी एकदम सही कहा,,,ग़र सच्चा और अच्छा दोस्त मिल जाये तो...फिर क्या कहने..सारी खुशियाँ अपनी झोली में |
हटाएंभावों से सजी सुंदर प्रस्तुति |
जवाब देंहटाएंमेरी नई पोस्ट:-
♥♥*चाहो मुझे इतना*♥♥
पता नहीं सभी लोगों ने इसे किस रूप में पढ़ा , मुझे तो ये एक कविता लगी और बहुत ही सुन्दर कविता |
जवाब देंहटाएंएक-एक पंक्ति से खुद को जोड़ पा रहा था |
शुभकामनायें
इसके लिए विशेष आभार....|
हटाएंVo kagaj ki seedhee vo barisshhh ka paani.. Good job dude..
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