सपने...ये जो हैं सपने...
झूठे ही सही पर सच के करीब होते हैं
हर खुशी को समेटे नैनों तले,
गहरे जज्बात लिए होते हैं |
कुछ फर्क नही पड़ता,
आँखें खुली या बंद हों
इनका आना तय है
वजह चाहें हों ना हों |
ये आँखों में हैं बसते,
और हम इनसे जुदा नही...
कोई भी सपना यूँ ही,
बेमतलब तो नही आ सकता?
इनमें छुपी होती है,
हमारी सच्चाई...
बीते हुए कल की दास्तान...
और आने वाले कल की झलक...
कुछ सपने छोड़ जाते हैं
गहरे भँवर में फंसा के...
जहाँ सोचने पर मजबूर होना पड़ता है,
कहीं सच ना हों जाए ये सपने...
और कुछ आते हैं
उम्मीद का दामन पकड़े,
और हम चाहते हैं कि काश !
सच हो जाए ये सपने...
बेतरतीब आते हैं ये सपने...
बड़े अजीब होते हैं ये सपने...
और कभी-कभी इन्हें पूरा
करने की शर्त,
हमें ले जाती है बहुत दूर
जहाँ मिलता है सिर्फ दर्द का सहारा |
सभी आँखें इन्हें देखती है,हक भी है,
पर कितनों को स्वीकार है उन फासलों को
मिटाने में जो सपने और उसके सच्चाई के बीच हैं???
शायद इसीलिए कुछ सपने
बस रह जाते हैं बनकर एक और सपने...
- "मन"
झूठे ही सही पर सच के करीब होते हैं
हर खुशी को समेटे नैनों तले,
गहरे जज्बात लिए होते हैं |
कुछ फर्क नही पड़ता,
आँखें खुली या बंद हों
इनका आना तय है
वजह चाहें हों ना हों |
ये आँखों में हैं बसते,
और हम इनसे जुदा नही...
कोई भी सपना यूँ ही,
बेमतलब तो नही आ सकता?
इनमें छुपी होती है,
हमारी सच्चाई...
बीते हुए कल की दास्तान...
और आने वाले कल की झलक...
कुछ सपने छोड़ जाते हैं
गहरे भँवर में फंसा के...
जहाँ सोचने पर मजबूर होना पड़ता है,
कहीं सच ना हों जाए ये सपने...
और कुछ आते हैं
उम्मीद का दामन पकड़े,
और हम चाहते हैं कि काश !
सच हो जाए ये सपने...
बेतरतीब आते हैं ये सपने...
बड़े अजीब होते हैं ये सपने...
और कभी-कभी इन्हें पूरा
करने की शर्त,
हमें ले जाती है बहुत दूर
जहाँ मिलता है सिर्फ दर्द का सहारा |
सभी आँखें इन्हें देखती है,हक भी है,
पर कितनों को स्वीकार है उन फासलों को
मिटाने में जो सपने और उसके सच्चाई के बीच हैं???
शायद इसीलिए कुछ सपने
बस रह जाते हैं बनकर एक और सपने...
- "मन"
सपने सपने नहीं होते हमारी सोचा का कोई हिस्सा ही होते हैं और सपने तो देखते रहना चाहिए अब ...कुछ उम्मीद बनाये रखते हैं कुछ साथ छोड़ देते हैं ..
जवाब देंहटाएंआप ने भी तो सपनो को लेकर लिखी कविता में बहुत कुछ सच कह ही दिया.
लिखते रहीये .
सपने हमेशा सपने नहीं होते....कई सपने अपने भी हो जाते हैं...
जवाब देंहटाएंबढ़िया लिखी है सपनो के विषय में यह कविता...सब कुछ समेट लिया है इस में.
सपने उम्मीद तोड़ दें परन्तु सपने देखना छोडना नहीं चाहिए.
जी सही कहा आपने "सपने उम्मीद तोड़ दें परन्तु सपने देखना छोडना नहीं चाहिए"|
हटाएंमेरे ब्लॉग पर आने के लिए आपका बहुत-बहुत आभार |
...कई सपने होते हैं केवल सपने
जवाब देंहटाएंबन नहीं सकते हक़ीकत
सपनों का मर जाना भी नहीं है यह
हम देखते हैं फिर भी सपने !
एक सच्चाई सपनों के लिए...|
हटाएंआभार...:)
सुन्दर प्रवाह | गहरे भाव ||
जवाब देंहटाएंशुभकामनायें ||
आभार...:)
हटाएंBina lakeeron ke kewal rangon se racha anushaasan! achchhi rachna!
जवाब देंहटाएंजीवन से जुड़े ही रहते हैं सपने ....सुंदर रचना
जवाब देंहटाएंhttp://bulletinofblog.blogspot.in/2012/10/2.html
जवाब देंहटाएंसपने ही हमें ज़िंदगी का एहसास कराते हैं ॥बहुत सुंदर रचना
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर सपनों की दास्ताँ..
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुन्दर रचना...
:-)
बहुत सुंदर सपने ,देखते रहिये मंटू जी और पूरे भी ज़रूर होंगे -शुभ-कामनाये
जवाब देंहटाएंआभार...:)
हटाएंकुछ आते हैं
जवाब देंहटाएंउम्मीद का दामन पकड़े,
और हम चाहते हैं कि काश !
सच हो जाए ये सपने...
वाह....
सच हों सभी सपने...
अनु
बढ़िया...सपने तो हर हाल में आते हैं...
जवाब देंहटाएंअच्छे सपने ही आएँ...शुभकामनाएँ|
सच कहा ...
जवाब देंहटाएं