कभी-कभी सोचता हूँ कि जिंदगी हमें चलाती है या हम उसे...क्या जिंदगी में बस वहीँ सब होना चाहिए जो केवल और केवल हम चाहते है...क्या जिंदगी में सबकुछ खुशी ही होती है या दुःख का मतलब भी समझ में आना चाहिए...
हमें कभी-कभार अंदाजा भी नही लग पाता कि जिंदगी को हमसे क्या चाहिए...और हम उसे क्या दे रहे हैं...हमारे कुछ फैसले,हमें उन नतीजों तक लेकर जाते हैं जिसकी कल्पना हमने कि भी नही थी...फिर दोष किस पर डालें...
जिंदगी पर या अपने-आप पर... जिंदगी के सफर में हम कुछ राहें चुनते हैं...मंजिल की खोज में आगे बढते हैं,पर मंजिल का कोई अता-पता नही...तो राहें गलत थी या हमारा फैसला...
किसी शायर ने यूँ फ़रमाया है कि -
"जिंदगी तेरा दस्तूर समझ नही आया...क्या है मेरा कसूर समझ नही आया...
तेरी हर एक चाल पे,नज़र रखता हूँ मै...फिर भी तेरा फतूर समझ नहीं आया..."
बेखबर...बेपरवाह...
उस राह पर भटकता हुआ
जहाँ निशां है,
कुछ ठिठकते क़दमों के...
शायद,मेरे और मुझमें कोई बात नही बनी...
और फिर राहें ऐसी मिली,
जिसका अंत मंजिल तो नही है...|
वहीँ बिता हुआ कल,जब आज में,
झलक जाए आँखों के सामने,
तो जिंदगी फीके रंगों पर सवार हों जाती है...
मन को मलिन होना पड़ता है और
सपने,आँखों से समझौता कर लेते हैं...|
मै कहीं तो जा रहा हूँ...
कहीं उड़ता हुआ...
कभी मुड़ता हुआ...
कभी किसी राह को ठोकर मरता हुआ,
पर शायद उन कुछ राहों पर मंजिल का पता लिखा था,
और मै था अंजान...|
पांव तले कितनी राहें रुख कर गई...
ना पूछा,ना रोका,ना टोका,ना सोचा,
पता नही आखिर जिंदगी को क्या तलाश है...|
पर यह जरुरी तो नही कि हर राह,मंजिल तक ही जाती हों...कुछ का अंत भटकाव भी होना चाहिए जो कि हमारी मदद करें उस राह को चुनने में जो बेशक कुछ मोड़ लेती हुई मंजिल तक ही जाती हों...जिंदगी की राह में ठोकरें काफी मिलती है लेकिन अपने पैरों पर उठ खड़े होने का फैसला केवल हमारे हाथों में ही है...
"आसान जरुर होंगी राहें...अगर मुश्किलों का सामना हिम्मत से हों जाए...और,
हौसला धीरे से मुस्कुरा दे...फिर जिंदगी बढ़ चलेगी अपनी राह पर और हम उसके सहारे"
- "मन"
हमें कभी-कभार अंदाजा भी नही लग पाता कि जिंदगी को हमसे क्या चाहिए...और हम उसे क्या दे रहे हैं...हमारे कुछ फैसले,हमें उन नतीजों तक लेकर जाते हैं जिसकी कल्पना हमने कि भी नही थी...फिर दोष किस पर डालें...
जिंदगी पर या अपने-आप पर... जिंदगी के सफर में हम कुछ राहें चुनते हैं...मंजिल की खोज में आगे बढते हैं,पर मंजिल का कोई अता-पता नही...तो राहें गलत थी या हमारा फैसला...
किसी शायर ने यूँ फ़रमाया है कि -
"जिंदगी तेरा दस्तूर समझ नही आया...क्या है मेरा कसूर समझ नही आया...
तेरी हर एक चाल पे,नज़र रखता हूँ मै...फिर भी तेरा फतूर समझ नहीं आया..."
बेखबर...बेपरवाह...
उस राह पर भटकता हुआ
जहाँ निशां है,
कुछ ठिठकते क़दमों के...
शायद,मेरे और मुझमें कोई बात नही बनी...
और फिर राहें ऐसी मिली,
जिसका अंत मंजिल तो नही है...|
वहीँ बिता हुआ कल,जब आज में,
झलक जाए आँखों के सामने,
तो जिंदगी फीके रंगों पर सवार हों जाती है...
मन को मलिन होना पड़ता है और
सपने,आँखों से समझौता कर लेते हैं...|
मै कहीं तो जा रहा हूँ...
कहीं उड़ता हुआ...
कभी मुड़ता हुआ...
कभी किसी राह को ठोकर मरता हुआ,
पर शायद उन कुछ राहों पर मंजिल का पता लिखा था,
और मै था अंजान...|
पांव तले कितनी राहें रुख कर गई...
ना पूछा,ना रोका,ना टोका,ना सोचा,
पता नही आखिर जिंदगी को क्या तलाश है...|
पर यह जरुरी तो नही कि हर राह,मंजिल तक ही जाती हों...कुछ का अंत भटकाव भी होना चाहिए जो कि हमारी मदद करें उस राह को चुनने में जो बेशक कुछ मोड़ लेती हुई मंजिल तक ही जाती हों...जिंदगी की राह में ठोकरें काफी मिलती है लेकिन अपने पैरों पर उठ खड़े होने का फैसला केवल हमारे हाथों में ही है...
"आसान जरुर होंगी राहें...अगर मुश्किलों का सामना हिम्मत से हों जाए...और,
हौसला धीरे से मुस्कुरा दे...फिर जिंदगी बढ़ चलेगी अपनी राह पर और हम उसके सहारे"
- "मन"
बढ़िया प्रस्तुति |
जवाब देंहटाएंशुभकामनायें ||
बहुत ही बढ़िया...हौसलों में बुलन्दी होनी चाहिए|
जवाब देंहटाएंTumne fir achchhi baat likh dee.
जवाब देंहटाएंपांव तले कितनी राहें रुख कर गई...
जवाब देंहटाएंना पूछा,ना रोका,ना टोका,ना सोचा,
पता नही आखिर जिंदगी को क्या तलाश है...|
....बहुत सुन्दर रचना...
बहुत अच्छी बात...
जवाब देंहटाएंबहुत ही बेहतरीन प्रस्तुति....
:-)
क्या ही खूब लिखा है.वाकई काफी मेहनत की है.बहुत सुन्दर.
जवाब देंहटाएंइंडियन ब्लोगर्स वर्ल्ड
सुंदर भाव जिंदगी के दर्शन यहां भी करें http://www.kuldeepkikavita.blogspot.com
जवाब देंहटाएंप्रिय मंटू बहुत अच्छी सकारात्मक सोच से सराबोर प्रस्तुति हैबहुत अच्छा लगा आपके ब्लॉग पर आकर जुड़ भी गई हूँ आपके ब्लॉग से वक़्त मिले तो मेरे ब्लॉग पर भी घूम आना --http://hindikavitayenaapkevichaar.blogspot.in/
जवाब देंहटाएंवाह ... बेहतरीन
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छे से लिखी हुई कविता है (हमेशा की तरह).
जवाब देंहटाएंबस मुझे ऐसा लगा कि शायद रूख कर की जगह रूठ कर होगा |
बहुत सुन्दर
बहुत खूब बहुत खूब अच्छा लिखा आपने
जवाब देंहटाएंजिंदगी भर brended ,,,पहन्ने बाले ये याद रखना कफन का कोई ,brended nahi hota
जवाब देंहटाएंजिंदगी भर brended ,,,पहन्ने बाले ये याद रखना कफन का कोई ,brended nahi hota
जवाब देंहटाएं😊 निराश कभी न होना 😊
जवाब देंहटाएं🌺🌺🌺🎯🌺🌺🌺
विधि का विधान .......🙂
जान कर मान !🙃
न हो निराश.......
मन मे हो आस !🙂
सम्पूर्ण हों पूरे काज !!
क्यु गया भूल......😞
या जाता जान !
सत्य को पहचान !!🙂
न वचे राम और कृष्ण.....
न सीता और मीरा !
चाहे रहे हो सिखों के गुरू ......
या मुहम्मद रसुल या मसीह यीशु !
न वचे देवों के देव ...वह भी तिृदेव !
सभी ने सहे दंश !!🦂
रूपो मे अनेक...
थे सब एक !☝
जबकि थे सब अवतारी !!
एक से बढ़कर, एक पुजारी !
सत्य पर थे चले ......
फिर भी था विधान कि जले !
कष्टो़ं से अनेक चलते रहे.....
कदम बढ़ते , बनते रास्ते अऩेक........
राम ने सहा वनवास !
जवकि था स्वयं का भव्य !! आवास, क्यों ? 🤔
कृष्ण पर भी था भार ....🌐
कंस ने किया बहुत ! परेशान.....क्यों ? 🤔
क्या कसूर था सीता और मीरा का ....🤔
एक के साथ थे राम और दूसरे के साथ थे श्याम !
इन्होंने भी किया "सुशील"
विपत्तियों से सँघर्ष !!
इसी को कहते हैं विधि का विधान !!!😊😁😅🌺🌺🌺👏🏼
हो आचारी, विचारी, पुजारी
चाहे हो फिर अवतारी....
सभी बंधे हैं किसी अज्ञात सत्ता के नियम से ! 🕸🔥💧☄🌍🌞🐚
जो न जान सके किसी भी दशा मे कैसै ......☹
है यही सत्य इसी को ले जान !😊
यही है विधि का विधान 😀😬
न हो निराश......😜
मन मे हो यह आस !😇😊😘
जो जायेगा डर ....😥
मौत से पहले, जायेगा मर !
जीतेगा वो🌺😘😋😜
लडेगा जो !
विजयी कहलायेगा🎯
कर नयी चेतना का संचार✊🏻
हो सवार, उस आशा, दृढ़ इच्छाश्क्ती और भक्ती के रथ पर...🙋🏻♂🐚
जो दिलायेगा......
विजयश्री! विजयश्री !! विजयश्री!!! 🇪🇹👌😜😀😂✌
Written by...aashu
😊 निराश कभी न होना 😊
जवाब देंहटाएं🌺🌺🌺🎯🌺🌺🌺
विधि का विधान .......🙂
जान कर मान !🙃
न हो निराश.......
मन मे हो आस !🙂
सम्पूर्ण हों पूरे काज !!
क्यु गया भूल......😞
या जाता जान !
सत्य को पहचान !!🙂
न वचे राम और कृष्ण.....
न सीता और मीरा !
चाहे रहे हो सिखों के गुरू ......
या मुहम्मद रसुल या मसीह यीशु !
न वचे देवों के देव ...वह भी तिृदेव !
सभी ने सहे दंश !!🦂
रूपो मे अनेक...
थे सब एक !☝
जबकि थे सब अवतारी !!
एक से बढ़कर, एक पुजारी !
सत्य पर थे चले ......
फिर भी था विधान कि जले !
कष्टो़ं से अनेक चलते रहे.....
कदम बढ़ते , बनते रास्ते अऩेक........
राम ने सहा वनवास !
जवकि था स्वयं का भव्य !! आवास, क्यों ? 🤔
कृष्ण पर भी था भार ....🌐
कंस ने किया बहुत ! परेशान.....क्यों ? 🤔
क्या कसूर था सीता और मीरा का ....🤔
एक के साथ थे राम और दूसरे के साथ थे श्याम !
इन्होंने भी किया "सुशील"
विपत्तियों से सँघर्ष !!
इसी को कहते हैं विधि का विधान !!!😊😁😅🌺🌺🌺👏🏼
हो आचारी, विचारी, पुजारी
चाहे हो फिर अवतारी....
सभी बंधे हैं किसी अज्ञात सत्ता के नियम से ! 🕸🔥💧☄🌍🌞🐚
जो न जान सके किसी भी दशा मे कैसै ......☹
है यही सत्य इसी को ले जान !😊
यही है विधि का विधान 😀😬
न हो निराश......😜
मन मे हो यह आस !😇😊😘
जो जायेगा डर ....😥
मौत से पहले, जायेगा मर !
जीतेगा वो🌺😘😋😜
लडेगा जो !
विजयी कहलायेगा🎯
कर नयी चेतना का संचार✊🏻
हो सवार, उस आशा, दृढ़ इच्छाश्क्ती और भक्ती के रथ पर...🙋🏻♂🐚
जो दिलायेगा......
विजयश्री! विजयश्री !! विजयश्री!!! 🇪🇹👌😜😀😂✌
Written by...aashu
बहुत ही सार्थक रचना और मनमोहक टिप्पणियाँ -- लेखन के सफर को सार्थक करता सफ़र | सादर , सस्नेह शुभकामनाएं ----------- |
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर सृजन
जवाब देंहटाएंसादर