कुछ रिश्ते होते हैं...
जो नाम के मोहताज नही...
उन्हें बेनामी रहना पसंद है,
इस शर्त पर कि
एहसास कभी कम ना हों उन रिश्तों के लिए...
कुछ रिश्ते होते हैं...
जिन्हें दूरी पसंद है
और करीब आने का राश्ता,
वे शायद भूला चुके होते हैं...
कुछ रिश्ते होते हैं...
नाकाब पहने...यूँ साथ चलते हैं जैसे...
उन्हें परवाह है हमारी...
पर अफ़सोस उनके लिए कि,
एक ना एक दिन नाकाब भी साथ छोड़ देगी...
उनके,इस रवैये के लिए...
कुछ रिश्ते होते हैं...
दिखावटी,
जहाँ दम घुट रहा होता है...
खुशियों का...एहसास का...
और उन रिश्तों का होना...
शायद कभी-कभी,
जरुरी हों जाता है इस जिंदगी के लिए...
कुछ रिश्ते होते हैं...
इतने जरुरी जितने कि...
नदी के लिए पानी...
कलम के लिए कागज...
और फिर उन रिश्तों के,
होने से ही हम होते हैं...
कुछ रिश्ते होते हैं...
जिनका बंधन यूँ तो मजबूत नही,
पर टूट के बिखरना,इतना आसान भी नही है...
कुछ रिश्ते होते हैं...और होने भी चाहिए...|
- "मन"
सही में रिश्तों का इस जिंदगी में होना उतना ही जरुरी है जितना की हमारे वजूद का इस जिंदगी में होना...कभी-कभी रिश्तों की डोर ढीली पड़ जाती है और फिर उन रिश्तों के लिए जीने की आश धुँधली नज़र आती है...मन को चैन नही पड़ता...और खुली हवा में भी घुटन महसूस होती है...
एक फिल्म में एक पात्र यह कहता भी है कि "बंधन रिश्तों का नही एहसास का होता है...अगर एहसास ना हों तो रिश्ते मजबूरी बन जाते हैं...वहाँ प्यार की कोई जगह नही होती...और वैसे भी रिश्ते,जिंदगी के लिए होते हैं,जिंदगी रिश्तों के लिए नही"
जो नाम के मोहताज नही...
उन्हें बेनामी रहना पसंद है,
इस शर्त पर कि
एहसास कभी कम ना हों उन रिश्तों के लिए...
कुछ रिश्ते होते हैं...
जिन्हें दूरी पसंद है
और करीब आने का राश्ता,
वे शायद भूला चुके होते हैं...
कुछ रिश्ते होते हैं...
नाकाब पहने...यूँ साथ चलते हैं जैसे...
उन्हें परवाह है हमारी...
पर अफ़सोस उनके लिए कि,
एक ना एक दिन नाकाब भी साथ छोड़ देगी...
उनके,इस रवैये के लिए...
कुछ रिश्ते होते हैं...
दिखावटी,
जहाँ दम घुट रहा होता है...
खुशियों का...एहसास का...
और उन रिश्तों का होना...
शायद कभी-कभी,
जरुरी हों जाता है इस जिंदगी के लिए...
कुछ रिश्ते होते हैं...
इतने जरुरी जितने कि...
नदी के लिए पानी...
कलम के लिए कागज...
और फिर उन रिश्तों के,
होने से ही हम होते हैं...
कुछ रिश्ते होते हैं...
जिनका बंधन यूँ तो मजबूत नही,
पर टूट के बिखरना,इतना आसान भी नही है...
कुछ रिश्ते होते हैं...
जो दफ़न हों जाते हैं,
वक्त के गहरे समंदर में...
लेकिन उनकी परछाई हमारा साथ दे रही होती है...
आज में,
और हम होते हैं बेखबर...
जो दफ़न हों जाते हैं,
वक्त के गहरे समंदर में...
लेकिन उनकी परछाई हमारा साथ दे रही होती है...
आज में,
और हम होते हैं बेखबर...
- "मन"
सही में रिश्तों का इस जिंदगी में होना उतना ही जरुरी है जितना की हमारे वजूद का इस जिंदगी में होना...कभी-कभी रिश्तों की डोर ढीली पड़ जाती है और फिर उन रिश्तों के लिए जीने की आश धुँधली नज़र आती है...मन को चैन नही पड़ता...और खुली हवा में भी घुटन महसूस होती है...
एक फिल्म में एक पात्र यह कहता भी है कि "बंधन रिश्तों का नही एहसास का होता है...अगर एहसास ना हों तो रिश्ते मजबूरी बन जाते हैं...वहाँ प्यार की कोई जगह नही होती...और वैसे भी रिश्ते,जिंदगी के लिए होते हैं,जिंदगी रिश्तों के लिए नही"
कुछ रिश्ते होते हैं...और होने भी चाहिए...|
जवाब देंहटाएंरिश्तों की बेहतरीन व्याख्या...
आभार भैया...|
हटाएंबहुत ही बेहतरीन तरीके से
जवाब देंहटाएंरिश्तों की गहराई को व्यक्त किया है..
बहुत ही बेहतरीन रचना...
सुन्दर....
:-)
बहुत-बहुत धन्यवाद रीना जी...|
हटाएंकुछ रिश्ते होते हैं...
जवाब देंहटाएंइतने जरुरी जितने कि...
नदी के लिए पानी...
कलम के लिए कागज...
और फिर उन रिश्तों के,
होने से ही हम होते हैं...
Bahut Sunder Panktiyan
आभार..|
हटाएंबहुत सुन्दर लिखा है मन.....
जवाब देंहटाएंरिशों के बारीक धागे ही तो बंधे रहते हैं हमें...हमारे मन को....
सस्नेह
अनु
जी..और उससे हमारे मन को संबल मिलता रहता है और जिंदगी आगे बढ़ती जाती है|
हटाएंआभार |
कुछ रिश्ते होते हैं
जवाब देंहटाएंजो हर रिश्ते को सहेजते हैं
बिखरने से
उनका होना ही
सब कुछ होता है ...
रिश्तो को सहेजते शब्द ... इस अभिव्यक्ति में अच्छे लगे
और आपके इन कुछ पंक्तियों ने इस अभिव्यक्ति में चार चाँद लगा दिए हैं..|
हटाएंआभार |
वाह बहुत खुबसूरत।
जवाब देंहटाएंआभार भैया..|
हटाएंबहुत ही खूबसूरती से रिश्तों की व्याख्या की है और उनकी महत्ता समझाई है.. बहुत ही सधी हुई कविता..
जवाब देंहटाएंलेकिन एक बात, कोई भी पोस्ट, प्रकाशित करने के पहले एक बार देख लिया करो.. टाइपिंग की बहुत सी गलतियाँ हो जाती हैं ट्रांसलिटरेशन में..
जी बिल्कुल...आगे से गौर करूँगा औए ऐसे ही सुझावों की उम्मीद में रहूँगा...:)
हटाएंआभार |
वाह... मन्टू जी रिश्तों की क्या खूब माला पिरोयी है ।
जवाब देंहटाएंआभार...|
हटाएंबहुत खुबसूरत .
जवाब देंहटाएंलाजवाब रचना , आभार
स्वागतम...और साथ ही साथ धन्यवाद |
हटाएंसादर |
Rishton ko nibhane bhi aaiye, dekhiye ye aur mazboot honge!
जवाब देंहटाएंजी बिल्कुल...रिश्ते मजबूत भी होंगे और सार्थक भी |
हटाएंआभार |
रिश्तों का सुंदर विश्लेषण ...
जवाब देंहटाएं